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देश की आजादी के बाद जगमगाया पिथौरागढ़ का सेला गांव,15 दिन पहले मनी दिवाली


पिथौरागढ़: दारमा घाटी का सेला गांव घाटी का पहला ऐसा गांव है, जहां आजादी के बाद से वर्तमान तक बिजली नहीं थी, लेकिन अब बिजली लोगों तक पहुंच ही गई है। भले ही हम सब के लिए दिवाली आने में समय हो, मगर इस गांव के अंदर तो दिवाली अभी से देखने को मिल रही है। दिवाली जैसा ही कुछ जश्न भी लोगों के बीच देखने को मिल रहा है। दिवाली से पहले गांव में विद्युत आपूर्ति बहाल होने से ग्रामीणों के बीच हर्ष का माहौल है।

दारमा घाटी में सवा करोड़ की लागत से 50 किलोवाट की परियोजना का निर्माण किया गया है। इस परियोजना से केवल सेला गांव में बिजली की आपूर्ति आखिरकार सुचारू कर दी गई है। आजादी के लगभग 7 दशकों के बाद दारमा घाटी का सेला गांव आखिरकार बिजली से जगमगा उठा जिससे वहां पर लोगों का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।

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सेला गांव के ग्रामीणों ने 70 सालों के बाद अपने गांव में पहली बार बिजली आने के बाद अपनी खुशी जाहिर कर उरेडा विभाग व सरकार का आभार जताया है। बता दें कि उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित चीन से सटी दारमा घाटी का एक ऐसा ही गांव है जहां पर आजादी के 70 सालों के बाद भी बिजली नहीं पहुंच पाई थी। वहां के लोग बिजली जैसी मूलभूत सुविधा से कई दशकों से वंचित थे। पिथौरागढ़ में चीन की सीमा से सटी दारमा घाटी में जलविद्युत परियोजना का निर्माण बीते 2011 में उरेडा ने शुरू किया था। 2013 में भीषण आपदा के चलते उपकरण क्षतिग्रस्त होने से परियोजना शुरू नहीं हो पाई थी।

इसके बाद अब आखिरकार गांव में आजादी के 70 सालों के बाद लोगों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधा मिल पाई है। स्थानीय लोगों ने बताया कि उन्होंने दारमा घाटी के अन्य गांवों को भी बिजली से जोड़ने की मांग की है। बता दें कि लंबे समय से चीन सीमा से सटे दारमा और व्यास घाटियों के कई गांव ऐसे हैं। जहां पर अब तक लोगों को बिजली जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिल पाई है और अब तक बिजली सुचारू रूप से नहीं पहुंच पाई है।

दारमा घाटी में 50 किलोवाट की जलविद्युत परियोजना बनने से सेला गांव विद्युत आपूर्ति से जोड़ने वाला दारमा घाटी का पहला गांव बन गया है। परियोजना के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि जल्दी दारमा घाटी के अन्य गांव में भी विद्युत आपूर्ति बहाल होगी।

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