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उत्तराखंड का चुनावी रण…आखिर हरीश रावत ने रामनगर सीट पर ही क्यों खेला दांव ?


रामनगर: विधानसभा चुनावों में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहां से चुनाव लड़ेंगे, इन सभी अटकलों पर बीती शाम विराम लग गया। प्रदेश कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत रामनगर से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जी हां, हरीश रावत ने नैनीताल जिले की रामनगर सीट को अपना विधानसभा क्षेत्र चुना है। ऐसे में इस सीट से पिछले 5 साल से मेहनत कर रहे रणजीत रावत के सल्ट सीट से चुनाव लड़ने की चर्चाएं तेज हो गई हैं।

हरीश रावत के रामनगर से चुनाव लड़ने के पीछे कुछ कारणों को अहम माना जा रहा है। बता दें कि हरीश रावत की राजनीति की शुरुआत रामनगर के एमपी इंटर कॉलेज से ही हुई थी। शायद यही कारण है कि रामनगर के लोगों से वह काफी जुड़ाव महसूस करते हैं। इसके अलावा रामनगर में मुस्लिम और दलित वोट बैंक अच्छा है।

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गौरतलब है कि यह वोट बैंक हमेशा से कांग्रेस के साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़ा नजर आया है। माना जा रहा है की 30 हजार वोटों को लक्ष्य के तौर पर देख रही कांग्रेस ने इसी वजह से हरीश रावत को यहां से चुनावी मैदान पर उतारा है। इसके अलावा एक बड़ा कारण हरीश रावत का चेहरा भी है। रामनगर की जनता पहले भी बड़े चेहरों पर दांव लगाती नजर आई है।

रामनगर से पूर्व में नारायण दत्त तिवारी व अमृता रावत कम तैयारी के साथ भी चुनाव जीते थे। इसीलिए हरीश रावत और कांग्रेस को भी आस है कि बड़ा और नामी चेहरा होने का फायदा उन्हें मिल सकता है। बताया यह भी जा रहा है कि कांग्रेस का एक बड़ा धड़ा रणजीत रावत को चुनाव लड़ाने के मूड में नहीं था। ऐसे में अब यह खेमा हरीश रावत के लिए चुनाव लड़ाने की तैयारी में जुट सकता है।

उल्लेखनीय है कि रामनगर को कुमाऊं और गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहा जाता है। चूंकि हर घर तक सड़कें जाती हैं, इसलिए यहां डोर टू डोर प्रचार प्रसार में प्रत्याशी को ज्यादा दिन नहीं लगते। शायद तभी कांग्रेस को भरोसा है कि इतना लेट प्रत्याशी घोषित करना पार्टी को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। खैर देखना होगा कि हरीश रावत 2017 के विधानसभा चुनावों में 2 सीटों से मिली हार को किस तरह भुला कर मैदान पर कदम रखते हैं।

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