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नदी का पानी बांटने को लेकर बेंगलुरु में आंतक जैसी हिंसा, लोगों ने 50 से अधिक बसों में लगाई आग


नई दिल्ली। क्या पानी को लेकर ऐसी हिंसा हो सकती है जो आंतक के रूप के सामान हो? लेकिन कावेरी नदी के पानी को लेकर बेंगलुरु में हिंसा भड़क उठी और  शहर के 16 थाना क्षेत्रों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। हिंसा इतनी बयानक थी कि लोगों ने एक ही बस डिपो में 56 गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया।  हिंसा के बाद से पूरे शहर का माहौल खराब है।  पानी के बटवारें को लेकर लोगों इतने गुस्सा गए कि उन्होंने तमिलनाडु के निवासी लोग जो बेंगलुरु में काम करते है उनके साथ भी मारपीट हुई और दुकानों में तोड़फोड़ की गई है। पानी को लेकर हुई हिंसा ने विश्व के सामने देश की साख को धूमिल किया है। हिंसा से पहले पुलिस ने दावा किया था  कि उसने 15 हजार पुलिसकर्मियों की तैनाती करके पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की है तथा कर्नाटक प्रदेश रिजर्व पुलिस, सिटी आम्र्ड रिजर्व पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स, क्विक रिएक्शन टीम, विशेष बल, सीआईएसएफ और आईटीबीपी के जवान मोर्चा संभाल रहे हैं। विवाद को देखते हुए केरल सरकार ने बेंगलुरु जाने वाली सभी बस सेवा पर रोक लगा दी है। गृह मंत्री ने मामले की गंभीरता को देखते हुए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया से बात की। हिंसा की इतनी भयानक तस्वीर देखकर ये लग रहा है कि हालात काबू होने में अभी वक्त लगेगा। ये विवाद केवल पानी को लेकर हुआ। सुप्रीम कोर्ट के कावेरी नदी के पानी को तमिलनाडु को देने के फैसले  ने हिंसा को जन्म दे दिया।

सुप्रीम कोर्ट  ने आदेश में कहा कि 15 सितंबर तक कर्नाटक हर रोज 15 हजार क्यूसेक पानी तमिलनाडु को देगा। लेकिन  इस फैसले पर कर्नाटक राजी होने को तैयार नही हुआ।  इसके बाद हिंसा और विवाद के डर से कोर्ट ने कल फैसले को बदलते हुए 15 हजार क्यूसेक को 12 हजार करने का फैसला सुनाया और लेकिन तारीख 20 सितंबर कर दी। कोर्ट के फैसले के अनुसार जो पानी पहले पहले डेढ लाख क्यूसेक देना था वो अब एक लाख 80 हजार क्यूसेक से ज्यादा हो गया। कावेरी नदी तमिलनाडु और कर्नाटक के अलावा केरल और पुदुच्चेरी में भी बहती है। पानी के बटवारे को लेकर पूरा कर्नाटक एक साथ उबल गया। बता दे कि तमिलनाडु सरकार 1924 के समझौते का हवाला देकर पानी मांगती है। उस वक्त भारत में अंग्रेजों का शासन था। लेकिन कर्नाटक सरकार ने पहले ही कम बारिश का हवाला देकर  पानी देने से इंकार कर दिया था। वर्ष 1976 में पानी को लेकर चारों राज्यों में समझौता हुआ  साथ ही विवाद सुलझाने के लिए 1986 में एक ट्रिब्यूनल का गठन भी हुआ था। इसके बाद भी पानी का ये झग़ड़ा अभी भी जारी है।पानी को लेकर जन्मे इस हिंसा मेंकल कर्नाटक में पुलिस की गोलीबारी में एक व्यक्ति की मृत्यु हो गई जबकि एक अन्य घायल हो गया। पुलिस ने  गोलीबारी का कदम उठाया जब चलाई जब भीड़  एक गश्ती वाहन पर हमले का प्रयास करने लगी। गुस्साए लोगों ने  तमिलनाडु के  वाली बसों और ट्रकों में आग लगा दी। कावेरी नदी के पानी का ये विवाद एक दशक पुराना है। दोनों राज्यों में कई तरह के समझौते हुए लेकिन कर्नाटक पानी देने को तैयार नहीं है।

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