नैनीताल: नीरज जोशी:गर्मी के आगमन के साथ पानी का संकट भी लोगों को परेशान करने लगता है।गर्मी लोगों को पानी की कीमत का अहसास कराती है। शहरों और कस्बों में पानी के लिए हमेशा लगी लाइन हमेशा देखने को मिलती है। मगर किसी को पानी नसीब होता है किसी को नही? वहीं सरोवर नगरी कहे जाने वाले नैनीताल की झिल का गिरता पानी स्तर लोगों को आने वाले संकट के बारे में बता रहा है। डीएसबी परिसर नैनीताल में पानी के लिए पूर्ण व्यवस्था है लेकिन जो पानी छात्रों के लिए लगा है वो पीने लायक नहीं है।
दो साल पहले जो आरोह सिस्टम हंस फाउंडेशन द्वारा छात्रसंघ संगठन की अपील पर लगवाए उसकी आजतक सफाई ही नहीं हुई है। बीए विभाग में छात्रसंगठन की कई सालों की मसक्कत के बाद आरोह वाटर तो लगा। लेकिन विभाग ने फिर कभी आरोह की सफाई तक नहीं करी। कॉलेज मैनेजमेंट ने कभी दोबारा आरोह की सफाई के बारे में सोचा तक नहीं वो शायद सफाई के लिए भी छात्रसंघ पर ही निर्भर है कई समय से बच्चे आरोह से पानी तो पी रहे है। उन्हें पता तक नही है कि वो किस बीमारी को आमंत्रण दे रहे है। हल्द्वानीलाइव की टीम ने जब आरोह को चेक किया तो पाया की आरोह टेंक मिटी से भरा हुआ है और बच्चे आरोह से पानी पी रहे है। कई बच्चों से पूछा की पानी कहा से पीते हो तो बताया गया। कि परिसर में आरोह लगा है। वहाँ से साफ़ पानी पीने को मिल जाता है। लेकिन पड़ताल के बाद सामने आया कि आरोह के टेंक में मीट्टी का ढेर पाया गया। अगर इसी तरह बच्चों को दूषित पानी पिलाया गया तो किसी भी दिन छात्र के स्वास्थय के संधर्भ में बुरी खबर आ सकती है। काँलेज मैनेजमेंट को जल्द से जल्द आरोह वाटर टेंक को साफ़ करने की जरुरत है। आरोह पानी को साफ़ करने के लिए होता है। लेकिन जो मशीन पानी को साफ रख रही है उसे भी साफ रखना जरूरी है अगर बच्चों को किसी बड़ी बीमारी से बचाना है तो काँलेज मैनेजमेंट को जल्द परिसर के सभी आरोह की सफाई करनी होगी। तभी सभी आरोह से पानी पीने योग्य हो सकता है।