नई दिल्ली: भारत ही नहीं पूरे विश्व में पत्रकारों पर हमले की घटनाएं कम नहीं हो रही है। आज के जमाने में निर्भीक पत्रकारिता करना मुश्किल हो गया है। पत्रकार कोई खुलासा करें उसके बाद हत्या की खबर आम हो गई है। विश्व के सबसे बड़े भ्रष्टाचार को उजागर करने की अहम भूमिका निभाने वाली पत्रकार डेफने कारूआना गलिट्स की एक कार बम धमाके में मौत हो गई है। यह हादसा माल्टा में हुआ। कारुआना गालिजिया को हाल ही में अमेरिकी समाचार संस्था पॉलिटिको द्वारा ‘वन-वोमेन विकीलीक्स’ के रूप में वर्णित किया गया था। कहा जाता है कि वह एक ऐसी ब्लॉगर थीं जिनकी पोस्ट को देश में सभी समाचारों को मिलाकर जितनी प्रसार संख्या बनती है, उससे भी अधिक लोगों द्वारा पढ़ा जाता था। माल्टा की राष्ट्रपति मैरी-लुईस कोलिरो प्रेका ने कहा, “ऐसे क्षण में जब देश इस तरह के घातक हमले से हैरान है, मैं सबसे आग्रह करती हूं कि अपने शब्दों पर विचार करें, कोई निर्णय ना दें और एकजुटता दिखाएं।”
महिला पत्रकार ने वर्ष 2016 में लीक हुए पनामा पेपर्स में माल्टा के संबंधों के बारे में लिखा था। उन्होंने लिखा था कि मस्कट की पत्नी और सरकार के चीफ ऑफ स्टाफ की, अजरबेजान से धन देने के लिए पनामा में विदेशी कंपनी थी। .स्थानीय मीडिया की रिपोर्टरों के अनुसार, कारुआना गालिजिया ने 15 दिन पहले पुलिस रिपोर्ट दर्ज कराई थी जिसमें उन्होंने कहा कि उन्हें मौत की धमकी मिल रही है। पत्रकार ने वेबसाइट पर सोमवार को अपरान्ह 2.35 बजे अपना अंतिम ब्लॉग पोस्ट किया और 3 बजे पुलिस को उनके घर के पास विस्फोट होने की सूचना मिली।