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Video:पुराना नहीं है श्रीलंका का ड्रामा, जो विराट के साथ किया वो सहवाग के साथ भी कर चुके है


नई दिल्ली: भारत के खिलाफ टेस्ट सीरीज खेलने आई श्रीलंका टीम खेल में तो भारतीय टीम से पीछे है वो खेलभावना में भी टीम इंडिया से पीछे नज़र आ रही है। कोलकाता टेस्ट के पांचवा दिन इसकी पहली झलक दिखी थी और अब दिल्ली में भी श्रीलंका की टीम ने क्रिकेट को शर्मसार किया है। दिल्ली टेस्ट के दूसरे दिन कोहरा अधिक होने का नाटक करने लगी। उसके गेदबाजों ने तबयीत खराब होने का हवाला देते हुए मैदान छोड़ दिया। मैच को 2-3 बार रोकना पड़ा। आलम ये था कि  एक-एक करके सभी खिलाड़ी अपने चेहरे पर मास्क पहनने लगे। एक बार विराट ने गुस्से में अपना बैट भी फेंक दिया था।

कप्तान दिनेश चंडीमल अंपायरों व कप्तान विराट के पास गए और कहने लगे कि उनके खिलाड़ियों को ‘स्मॉग’ यानी धुंध व प्रदूषण से सांस लेने में दिक्कत हो रही है और खिलाड़ी अपना 100 प्रतिशत नहीं दे पा रहे हैं। इससे भारतीय खिलाड़ियों का ध्यान टूटा और उनका विकेट श्रीलंका के गेंदबाज कामयाब रहे। सबसे बड़ा विकेट रहे विराट कोहली जो 243 रनों पर आउट हुए। विराट की बल्लेबाजी देखकर साफ नजर आ रहा था कि वो 300 रनों के स्कोर तक पहुंच सकते है लेकिन श्रीलंका का नाटक उनकी एकाग्रता को भंग कर गया। भारत ने इस नाटक के बीच 3 विकेट खोए। जब विराट कोहली ने पारी को 536 पर घोषित किया जो श्रीलंका के खिलाड़ी हंसते हुए नजर आए।

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अब बात ये सामने आती है कि अगर माहौल खेलने लायक नहीं था तो श्रीलंका के खिलाड़ियों ने मैच से पहले इसकी बारे में मैच रेफरी को सूचित क्यों नहीं किया। क्यों बल्लेबाज मास्क के साथ मैदान पर नहीं उतरे।ड्रेसिंग रूम में कोई भी खिलाड़ी मास्क लगाए नहीं था केवल दिमाख में ड्रामा था। श्रीलंका टीम का ड्रामा देखते हुए टीम इंडिया के कोच रवि शास्त्री भी मैदान पर अंपायरों से बात करने आए। वहीं श्रीलंका टीम के मैनेजर मैच रेफरी के पास पहुंच गए। श्रीलंका टीम के इस हरकत से सोशल मीडिया पर क्रिकेट फैंस ने उनकी आलोचना की है।

सीरीज के पहले मैच में किया ड्रामा

https://www.youtube.com/watch?v=-H2bp5bnOPQ

बता दे कि कोलकाता टेस्ट में पांचवे दिन मोहम्मद शमी की गेदबाजी के दौरान श्रीलंका के विकेटकीपर डीकवेला जानबूझकर समय बर्बाद कर रहे थे। अब आप बोलेंगे की टेस्ट मैच ड्रॉ कराने के लिए कई ख्लाड़ी वक्त बर्बाद करते है लेकिन जो डीकवेला ने किया वो थोड़ा अलग था। उन्होंने ने कई बार साइडस्क्रीन का बहाना बनाया लेकिन बाद में उसी साइडस्क्रिन के साथ बल्लेबाजी की। उसके अलावा वो तैयार होने के बाद शमी को रोक रहे थे। श्रीलंका को जीतने के लिए 231 रनों की जरूरत दी और उसने अंतिम क्षण में 75 रनों पर 7 बल्लेबाज खो दिए। सोशल मीडिया पर क्रिकेटफैंस ने इस वाक्या की बात करते हुए कहा कि डीकवेला की हीनक्रिकेट भावना के जरिए श्रीलंका मैच बचाने में कामयाब रहा।

याद आया 2009 का वाक्या

श्रीलंका टीम कोटला के मैदान शायद पंसद नहीं आता है साल 2009 में भी टीम ने पिच में अतिरिक्त उछाल का हवाला देते हुए मैदान छोड़ दिया था। भारत-श्रीलंका वनडे सीरीज के दौरान मैच अचानक बीच में खत्म करना पड़ा था क्योंकि पिच पर गेंद अजीब उछाल ले रही थी। दर्शकों के तमाम बवाल और विवाद के बाद पिच को अयोग्य घोषित करते हुए वो मैच रद् कर दिया गया था।

साल 2010 का में सहवाग के साथ किया धोखा

श्रीलंका के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज के अंतर्गत भारत दांबुला में वनडे मैच खेल रहा था। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए महज 170 रन बनाए, जिसके जवाब में भारत 34 ओवर में चार विकेट के नुकसान पर 166 रन बना चुका था। भारत को जीत के लिए अब 5 रन चाहिए थे। सूरज रंदीव की पहली गेंद बिना वीरेंद्र सहवाग के बल्ले से लगे विकेटकीपर की ओर गई, जिसे वो भी नहीं पकड़ सका। इस पर भारत को बाइ के चार रन मिले।अब भारत को जीत के लिए महज 1 रन की जरूरत थी, जबकि सहवाग 99 रन पर थे। सहवाग अगली दो गेंदों पर कोई रन नहीं बना सके। रंदीव ने ओवर की चौथी बॉल पर पैर को क्रीज से बहुत बाहर निकला और सहवाग ने उसपर छक्का लगा दिया मगर ये नो-बॉल थी। भारत तो जीत गया मगर सहवाग के खाते में ये 6 रन नहीं जुड़ सके और वह इस मैच में 99 रन पर नाबाद रहे।

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