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बुलंदशहर गैंगरेप: आरोपियों की कोर्ट से नार्को टेस्ट करने की गुहार , पुलिस पर फंसाने का आरोप


नई दिल्ली। बुलंदशहर हाईवे में हुए  गैंगरेप ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था। इस मामले में मंगलवार को आरोपियों की एक मांग ने सभी को सकते में डाल दिया। आरोपियों ने  पूरे देश को चौकाते हुए कोर्ट के सामने अपने आप को बेकसूर कहते हुए नार्को टेस्ट की मांग की है। सीबीआई ने मंंगलवार को सलीम छैमार के साथ  3 आरोपियों को रिमांड खत्म होने पर अदालत में पेश किया था।

आरोपी पक्ष की वकील मंजू शर्मा के अनुसार आरोपियों ने अपनी पेशी के दौरान जज के सामने खुद को बेकसूर बताया। आरोपियों ने कहा कि उन्हें पुलिस ने इस केस में फंंसाया है और इस घटना को उन्होंने अंजाम नहीं दिया है।अपने आप को आरोपमुक्त साबित करने के लिए आरोपियों ने अदालत से नार्को टेस्ट कराने की मांग की है। नार्को टेस्ट से पता चल जाएगा कि वो इस घटना में लिप्ट है या नही।

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आरोपी पक्ष की वकील ने अदालत ने सीबीआई को निशाना बनाते हुए कहा कि इस मामले में पुलिस द्वारा बरामद दिखाया गया सामान कोर्ट के सामने  पेश नहींं किया गया । पुलिस ने अपनी जांच के दौरान आरोपियों से पीड़ित पक्ष से लूटी गई सोने के आभूषण और मौके पर मिली आरोपियों की चप्पलें बरामद करने की बात कही थी।

इस मामले की सुनावाई के बाद अदालत ने सीबीआई को बुधवार (24 अगस्त) को कोर्ट के सामने बरामद सामान पेश करने के निर्देश दिए है। वैसे अपराधियों से सच उगलवाने के लिए नार्को टेस्ट का सहारा लिया जाता है। ये तब होता है जब अपराधी से पूर्ण जानकारिया नही मिल पाती। अपराधियों के मन का सत्य टूूथ सीरम इंजेेक्शन की मदद से उगलवाया जाता है। इस टेस्ट में व्यक्ति स्वाभाविक रूप से बोलता है। ये एक फोरेंसिक टेस्ट होता है, जिसे जांंच अधिकारी, मनोवैज्ञानिक, चिकित्सक और फोरेंसिक विशेषज्ञ की मौजूदगी में किया जाता है। अधिकतर अपरोपी इस प्रक्रिया से गुजरना नहीं चाहते है, क्योंकि इस टेस्ट में सच सामने आ जाता है जिससे अपराधी को सजा होना तय है।

 

 

 

न्यूज सोर्स- प्रदेश18

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