नई दिल्ली– हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी एक शख्स को बरी करते हुए कहा कि जब दो वयस्क होशोहवास में शारीरिक संबंध बनाते हैं तो उन्हें पूरी तरह नतीजों का आभास होता है। जानकारी के मुताबिक, मुंबई के ही एक स्थानीय कॉलेज में बतौर प्रोफेसर काम करने वाली महिला और मामले में आरोपी कुणाल मंडलिया की मुलाकात 2010 में हुई थी। उसके बाद दोनों के बीच दोस्ती हुई। महिला ने पुलिस में दर्ज शिकायत में दावा किया कि कुणाल ने 2011 में उससे शादी का प्रस्ताव दिया था और उसके बाद कई बार उसे शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। उसने 2011 में कुणाल पर दुष्कर्म करने और शादी से इनकार करके धोखा देने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। इसी के साथ महिला ने उस पर कई बार हमला करने और उसके पैसे ले जाने का भी आरोप लगाया था। आरोपी कुणाल ने मामले में इस आधार पर आरोपमुक्त किए जाने की गुहार लगाई थी कि उसके और महिला के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमति से थे। मामले के ब्योरे का अध्ययन करने के बाद उच्च न्यायालय ने कहा कि शिकायत दर्ज कराते समय महिला की उम्र 30 साल थी और पहली बार शारीरिक संबंध बनते समय उसकी उम्र 26 साल थी। उच्च न्यायालय के मुताबिक इस तरह उसे एक व्यक्ति से शारीरिक संबंध रखने के नतीजों का पता था और वह जानती थी कि दो लोगों के बीच मतभेद हो सकते हैं और हो सकता है कि दोनों एक दूसरे को अपने अनुरूप नहीं पाएं। न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर ने कहा कि महिला बहुत पढ़ी-लिखी है और इसलिए यह नहीं कहा जा सकता कि शारीरिक संबंध बनाने की सहमति धोखे से हासिल की गई होगी। हालांकि, कोर्ट ने आरोपी को धोखाधड़ी, आपराधिक धमकी और हमले के आरोपों से बरी नहीं किया जिसके लिए उस पर मुकदमा चलेगा।