नई दिल्ली- वीआईपी व्यक्ति की सुरक्षा का जिम्मा उनके बॉडीगार्ड या सुरक्षा गार्ड पर होता है। आज के मॉर्डन युग में बॉडीगार्ड को लेकर बॉलीवुड और साउथ में कई फिल्म भी आ चुकी है। फिल्मों के प्रसारण के बाद बॉडीगार्ड या सिक्यॉरिटी गार्ड के लुक को लेकर लोगों व बच्चों में खासा क्रेज़ रहता है। लोग उन्हें कॉपी करने की कोशिश में करते है। लेकिन क्या आपको बता है उनके इस लुक के पीछे की वजह? बॉडीगार्ड का चश्मा पहनने का स्टाइल ही लोगों को भाता है। वो चश्मा फैशन के लिए बल्कि किसी खास वजह से पहना जाता है। दरअसल, सुरक्षाकर्मी मुस्तैदी के दौरान असल में कहां देख रहे हैं इस बात को लोगों से छुपाने के लिए सनग्लास का सहारा लेते हैं। उनकी नजर किस जगह और किस पर है वे इस बात का अंदाजा किसी को नहीं लगने देना चाहते। इसके अलावा अगर आपके सामने कोई धमाका या कोई कोई विस्फोट होता है या फिर गोलियां चलने लगती हैं तो जाहिर तौर पर आपकी आंखें कुछ पल के लिए स्वाभाविक रूप से बंद होती हैं। इस वक्त में आम लोगों से इतर इन सुरक्षाकर्मियों को हर हालत में आंख खुली रखनी होती है और इसके लिए जरूरी होता है मनोवैज्ञानिक सपॉर्ट, जिसमें ये चश्मे मददगार साबित होते हैं।
सिक्यॉरिटी गार्ड्स के पास दुश्मन की हरकत को भांपने का और दुश्मन के पास उनकी प्रतिक्रिया का अंदाजा लगाने के लिए सबसे बढ़ा साधन होता है आंख। ये लोग इस तरह से प्रशिक्षित होते हैं कि आंख और शारीरिक भाषा पढ़ आपके अगले कदम को पहले ही पढ़ सकते हैं। दुश्मन ऐसा न कर सके, इसके लिए सुरक्षाकर्मी आंखों पर सनग्लास के पर्दे का सहारा लेते हैं।यह बहुत ही साधारण सी और स्पष्ट वजह है कि भगदड़ हो, धूल-धक्कड़ हो या फिर कैसी भी परिस्थिति। सुरक्षाकर्मियों के लिए अपनी आंख को स्वस्थ और साफ रखना बेहद जरूरी है। उनके हथियारों की फेहरिस्त में उनकी दो आंखें भी शामिल होती हैं। इस हथियार को दुरुस्त रखने के लिए हमसायों की तरह साथ रहने वाले ये सुरक्षाकर्मी सनग्लास का सहारा लेते हैं।