हल्द्वानी: कोरोना वायरस के चलते लागू हुए लॉकडाउन ने सैकड़ों नौकरियां छिनी। दूसरे राज्यों में रह रहे लोग घर आए लेकिन अधिकांश वापस ही नहीं लौटे… यानी कोरोना वायरस ( CORONA VIRUS cases in uttarakhand) ने पलायन ( Migration in Uttarakhand) को चोट पहुंचाई है, यह कहना गलत नहीं होगा। यह हम नहीं राज्य पलायन आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट बोल रही है जो सोमवार को जारी हुई है।
लॉकडाउन के चलते तीन लाख (357536) से अधिक प्रवासी ( Uttarakhand Migrants) उत्तराखंड लौटे थे और उसमें से 71 प्रतिशत (252687) लोग वापस नहीं लौटे हैं। वह अपने गांव में ही रुके हैं। रिपोर्ट के अनुसार 33 प्रतिशत लोगों ने खेती बाड़ी शुरू कर दी है। वहीं, 29 (104849)प्रतिशत प्रवासियों ने अनलॉक के बाद दोबारा से पलायन ( Migration in Uttarakhand) किया है। आयोग ने यह रिपोर्ट विकासखंड स्तर पर किए गए सर्वे के आधार पर तैयार की है। यह आंकड़े सितंबर माह के अंत तक के हैं।
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उत्तराखंड में रहकर कर रहे हैं काम
लॉकडाउन में घर लौटे हजारों लोगों ने स्वरोजगार ( Startup In uttarakhand) को अपनाया। इस लिस्ट में अल्मोड़ा जिला नंबर वन हैं। आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक अल्मोड़ा में लौटे प्रवासियों में से करीब 33 प्रतिशत ने स्वरोजगार अपनाया है। नैनीताल, ऊधमसिंह नगर और टिहरी जिलों में लॉकडाउन के बाद लौटे प्रवासियों से स्वरोजगार को अपनाया है। कुछ अन्य आंकड़ों की बात करें तो हरिद्वार जिले में सबसे ज्यादा वापस लौटे प्रवासियों ने करीब 75 प्रतिशत की निर्भरता मनरेगा योजना पर है। पौड़ी में 53 प्रतिशत, टिहरी में 51 प्रतिशत और चमोली में 43 प्रतिशत प्रवासी मनरेगा से जुड़े हैं।
उत्तराखंड लौटे 33 प्रतिशत प्रवासियों ने कृषि, बागवानी, पशुपालन के क्षेत्र में काम करना शुरू किया। वहीं 38 प्रतिशत मनरेगा से जुड़े। 12 प्रतिशत लोगों ने स्टार्टअप शुरू किया। वहीं 17 प्रतिशत लोग अन्य काम से जुड़ गए। उत्तराखंड पलायन आयोग के उपाध्यक्ष एसएस नेगी का कहना है कि यह आंकड़े राहत देते हैं। खास बात यह है कि वापस लौटे लोगों में से अधिकतर अपने मूल स्थान या फिर आसपास के क्षेत्र में ही गए हैं। आयोग की ओर से अब प्रवासियों से संवाद बनाए रखने की सिफारिश प्रमुख रूप से की गई है। सीएम स्वरोजगार योजना और मनरेगा का मिल रहा है फायदा।
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राज्य और जिला स्तर पर रिवर्स पलायन करने वालों के आर्थिक पुनर्वास को प्रकोष्ठ गठन किया जाए। रिवर्स पलायन के लिए डेटा बेस तैयार किया जाए। कृषि, उद्यान, पशुपालन विभाग लौटे लोगों से संपर्क स्थापित किया जाए। मनरेगा के स्कोप का विस्तार किया जाए । स्वरोजगार में लगे लोगों को सहायता दी जाए। करीब 12 प्रतिशत लोग इससे जुड़े हैं। कौशल विकास किया जाए। लौटने वाले कई लोग आतिथ्य क्षेत्र से हैं और प्रशिक्षित हैं। ये अब कृषि, बागवानी , मनरेगा सेब जुड़े हैं।