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भाई से प्रेरित होकर छोटा भाई बना इसरो में वैज्ञानिक, उत्तराखंड के वैज्ञानिक भाइयों की कहानी


अल्मोड़ा: 23 अगस्त को भारत के चंद्रयान तीन मिशन को कामयाबी मिली थी। इसके बाद हम लगातार आपके बीच इस मिशन से जुड़े वैज्ञानिकों की कहानी लेकर आए हैं। इस मिशन से उत्तराखंड का भी कनेक्शन रहा क्योंकि कई वैज्ञानिक देवभूमि से ताल्लुक रखते हैं। एक स्टोरी हम आपके बीच लेकर आए थे जिसमें हमने इसरो में वैज्ञानिक राजेंद्र सिंह सिजवाली के बारे में बताया था, जो अल्मोड़ा से निकलकर देश के सबसे बड़े मिशन का हिस्सा बनें। एक निजी मीडिया हाउस को उनके बड़े भाई डॉक्टर पूरन सिंह सिजवाली ने जानकारी दी थी। आपको जानकर खुशी होगी कि राजेंद्र को प्रेरित करने में उनके बड़े भाई डॉक्टर पूरन सिंह सिजवाली का अहम रोल रहा। इस वजह से हम आपके बीच दोनों भाइयों की कहानी लेकर आए हैं।

डॉ पूरन सिंह सिजवाली मौजूदा वक्त में हैदराबाद में वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत हैं। अल्मोड़ा के पनौली गांव के रहने वाले सिजवाली ब्रदर्स का जीवन भी पहाड़ के सामान्य परिवारों की तरह रहा, जहां आमदनी कम और खर्चा रुपया होता है। इसके अलावा पिता के बाद बड़े भाई को ही घर की जिम्मेदारी उठानी पड़ती है।

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डॉ पूरन सिंह सिजवाली के पिता स्वर्गीय दीवान सिंह सिजवाली भारतीय सेना का हिस्सा रहे थे। जब वह कक्षा तीन में पढ़ते थे तो उनके पिता रिटायर हो गए थे। वहीं राजेंद्र उस वक्त पैदा भी नहीं हुए थे। परिवार में कुल 6 भाई बहन हैं। दो भाई और चार बहनें…

90 के दौर में सेना की पेंशन से शायद ही इतने बड़े परिवार को चलाया जा सके लेकिन आर्थिक परेशानी को पीछे छोड़ते हुए पूरन सिंह सिजवाली ने शिक्षा हासिल की । अल्मोड़ा से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया। इसके बाद पंतनगर में उन्हें प्रवेश मिला और बायोटेक्नोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जेएनयू से पीएचडी की और साल 1999 में वह अमेरिका चले गए।

बड़े भाई का परिश्रम राजेंद्र सिजवाली देख रहे थे और उन्होंने भी उसी रास्ते पर चलने का फैसला किया। बचपन से राजेंद्र मेधावी छात्र रहे हैं और बड़े भाई का मार्गदर्शन उन्हें मिलता रहा। स्कूल की पढ़ाई पूरी हुई तो उन्होंने द्वाराहाट के इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक किया। राजेंद्र सिजवाली साल 2005 से इसरो में है। चंद्रयान 3 के विक्रम लैंडर के लिए प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर रहते हुए उन्होंने सेंसर के लिए पावर सिस्टम को विकसित करने में प्रमुख योगदान दिया।

बड़े भाई पूरन सिंह सिजवाली ने कहा कि राजेंद्र ने परिवार की स्थिति को अच्छी तरीके से समझा और उन्होंने अभावों को अपने सपनों के बीच में नहीं आने दिया। यही वजह है कि उनका छोटा भाई आज उन वैज्ञानिकों में शामिल है जिन्होंने देश को अंतरिक्ष में ऐतिहासिक कामयाबी दिलाई है। आपको बता दें कि राजेंद्र सिजवाली के मिशन चंद्रयान में शामिल होने के बारे में उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने भी सोशल मीडिया पर जानकारी साझा की थी।

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