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राजेंद्र सिंह सिजवाली ISRO में वैज्ञानिक, आसान नहीं रहा अल्मोड़ा से चंद्रयान मिशन तक का रास्ता

ISRO SCIENTIST RAJENDRA SINGH SIJWALI: चंद्रयान-3 मिशन में उत्तराखंड से नाता रखने वाले कई वैज्ञानिक शामिल रहे। मिशन के सफल होने के बाद एक-एक कर सभी के नाम सामने आ रहे हैं। हमारी कोशिश है कि वैज्ञानिकों के बारे में आपकों बताएं। मिशन को सफल बनाने में वैज्ञानिक राजेंद्र सिंह सिजवाली ने भी अहम योगदान दिया, जो कि मूलरूप से धौलादेवी ब्लाक के पुनौली गांव के रहने वाले हैं।

वैज्ञानिक राजेंद्र सिजवाली के बारे में उनके बड़े भाई डा. पूरन सिंह सिजवाली ने एक मीडिया हाउस को जानकारी दी। पूरन सिंह सिजवाली खुद एक वैज्ञानिक हैं और हैदराबाद में तैनात हैं। पहाड़ों के अधिकतर घरों की तरह ही राजेंद्र सिजवाली की भी कहानी है। मजबूत आर्थिकी नहीं होने की वजह से उन्हें सरकारी स्कूल से पढ़ाई करनी पड़ी। अब घर में छह भाई बहन थे और सभी की जिम्मेदारी स्व. दिवान सिंह सिजवाली के सिर पर थी जो भारतीय सेना का हिस्सा थे। राजेंद्र पैदा भी नहीं हुए थे जब पिता सेना से रिटायर हुए।

जानकारी के मुताबिक, राजेंद्र सिजवाली ने प्रारंभिक शिक्षा राजकीय इंटर कालेज द्यूनाथल से की। इसके बाद आगे की पढ़ाई उन्होंने अल्मोड़ा से पूरी की। स्कूल से शिक्षा पूरी करने के बाद उन्हें विपिन त्रिपाठी कुमाऊं इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वाराहाट से इलेक्ट्रॉनिक्स में इंजीनियरिंग दाखिला मिल गया। वर्ष 2005 में उनका चयन इसरो में हुआ और जो सपना उन्होंने देखा था वो साकार हो गया। चंद्रयान-3 मिशन की बात करें तो राजेंद्र सिजवाली ने विक्रम लैंडर के लिए प्रोजेक्ट मैनेजर के पद संभाला था। उन्होंने सेंसर के लिए पावर सिस्टम को विकसित करने में प्रमुख योगदान दिया। बड़े भाई डा. पूरन सिंह सिजवाली ने कहा कि राजेंद्र ने चुनौतियों का सामना किया और आगे बढ़ते चले गए। भाई की कामयाबी को देखकर को गर्व महसूस कर रहे हैं।

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