हल्द्वानी: क्रिकेट को लेकर जिस चीज का इंतजार पूरे उत्तराखण्ड को था वो देवभूमि को आज नसीब हुआ है। उत्तराखण्ड के जन्म के बाद से ही राज्य क्रिकेट बीसीसीआई की मान्यता के लिए तरस रहा था। मान्यता नहीं होने से राज्य के युवाओं को दूसरे स्टेट से खेलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा था। यह मामला पिछले लंबे वक्त से सुप्रीम कोर्ट में अटका हुआ था और राज्य में मौजूद क्रिकेट संघ के मतभेद के कारण आगे नहीं बढ़ रहा था।
दिल्ली में हुई अहम बैठक में उत्तराखंड को बीसीसीआई की मान्यता मिलने के संकेत मिले हैं। सूत्रों के अनुसार फिलहाल मान्यता की अवधि एक साल तय की गई है। सोमवार को दिल्ली में उत्तराखंड को मान्यता दिये जाने संबंधी अहम बैठक आयोजित की गई थी। बैठक में राज्य के क्रिकेट एसोसिएशनों के पदाधिकारियों को बुलाया गया था। सूत्रों के अनुसार बैठक में सभी क्रिकेट एसोसिएशनों को मिलाकर उत्तराखंड को बीसीसीआई की मान्यता दे दी गई है। इस खबर के सामने आने के बाद पूरे उत्तराखण्ड में खुशी की लहर दौड़ गई है। राज्य गठन को 18 साल हो गए है और राज्य क्रिकेट प्रतिभाओं को लगातार भीड़ में खो रहा था। वहीं अभिभावक भी युवाओं को क्रिकेट से दूर कर रहे थे, हर किसी को केवल मान्यता का इंतजार था। अब उत्तराकण्ड को बीसीसीआई से मानय्ता मिल गई है तो उम्मीद यही जताई जा रही है कि राज्य साल 2018-2019 के घरेलू सीजन में भाग लेगा। उसी के आधार पर मान्यता को बढ़ाए जाने की बात कही जा रही है। उत्तराखण्ड के दर्जनों खिलाड़ी भारतीय टीम व आईपीएल में खेलते है। लगातार उत्तराखण्ड की प्रतिभा क्रिकेट के मैदान पर परचम लहरा रही थी। ये मान्यता एक कामयाबी है हर शख्स की जिसने उत्तराखण्ड को क्रिकेट के मैदान पर चमकता देखा था। यह मान्यता क्रिकेट से जुड़े लोगों के लिए एक लड़ाई बन गई थी जिससे वो युवाओं के भविष्य के लिए जीतना चाहते थे।