हल्द्वानी: हमारा उत्तराखंड, हमारे पहाड़ हक़ीकत में खूबसूरत नज़ारों का एक समावेश माने जाते हैं। ऐसा देखा गया है कि गर्मियों एवं सर्दियों में अच्छा समय बिताने के लिये दूर दूर से यात्रिगण यहां आते हैं। लेकिन कुदरत की नज़र को देखिये, पहाड़ के लोग ही आजकल यहां से शहरों की तरफ़ दौड़ लगाने में लगे हैं। उत्तराखंड राज्य के लिये पलायन अब सिर्फ़ एक छोटा सा मुद्दा नहीं बल्कि एक गंभीर समस्या बन कर सरकार और लोगों के आढ़े आ रहा है। पिछले कुछ समय से तो पलायन की समस्या, तेज़ रफ़्तार पकड़ने में कामयाब रही है। लेकिन कोरोना काल के कारणवश लोगों का रुझान अन्य बड़े शहरों से कुछ हद तक हिला है। अब कोरोना के कारण बड़े शहरों में रह कर कमाई करने के स्रोतों में अच्छी खासी कमी भी आयी है।
पलायन और कोरोना से हट कर अगर आय के संसाधनों की ओर ध्यान दें तो, शहर हल्द्वानी और उत्तराखंड राज्य के लोगों ने आत्मनिर्भर होने की तरफ़ पुख़्ता कदम उठाए हैं। ऐसा ही एक नाम है बिष्ट उद्योग का। हल्द्वानी कमलुआगांजा स्थित बिष्ट कैंडल एंड लाइट ट्रेडिंग कंपनी, जो कि बिष्ट उद्योग के नाम से प्रचलित है। बिष्ट उद्योग के प्रबंधक रमेश सिंह बिष्ट का कहना है कि हमारे यहां पर अलग अलग उद्योगों के लिये मशीन तैयार की जाती हैं। रमेश बिष्ट का कहना है कि अगरबत्ती, धूपबत्ती, रुईबत्ती जैसे उद्योगों से लोगों को काफ़ी अच्छा रोज़गार मिल रहा है। पेपर दोना मशीन, पेपर कप मशीन, पेपर बैग मशीन, अगरबत्ती मेकिंग मशीन, धूपबत्ती मशीन, कपूर मेकिंग मशीन, वूलन बैग मेकिंग मशीन, साबुन व सर्फ़ मेकिंग मशीन, चप्पल मेकिंग मशीन, कील मेकिंग मशीन, मसाला मेकिंग मशीन, गोबर से लकड़ी बनाने की मशीन, नोटबुक मेकिंग मशीन और चाऊमीन मेकिंग मशीन, सभी बिष्ट उद्योग में बना कर तैयार की जाती हैं।
प्रबंधक रमेश सिंह बिष्ट का कहना है कि सारा ज़ोर सभी मशीनों का कच्चामाल घर में ही तैयार कर प्रक्रिया को नैचुरल रखने पर दिया जाता है। इन मशीनों के सबसे बड़े फ़ायदे गिनाते हुये उन्होंने कहा कि, प्रक्रिया नैचुरल होने के कारण प्रदूषण के नज़रिये से भी लोगों की प्रतिक्रिया मशीनों की तरफ़ काफ़ी सकारात्मक रहती है। रमेश सिंह बिष्ट का मानना है कि मशीनों की ही वजह से लकड़ियों का कटना, प्रदूषण कम हो जाएगा एवं पशु पालन भी आसान होगा, गोबर की बिक्री में भी बढ़ोत्तरी आएगी। और जानकारी देते हुये, बिष्ट उद्योग के प्रबंधक ने कहा कि अंतिम संस्कार जैसे आयोजन, ठंड के दिनों में पहाड़ों पर हाथ सेंकना एवं शादी समारोह में, जहां कहीं भी लकड़ियों का इस्तेमाल होता है, वहां प्रदूषण में कमी आएगी। सबसे महत्वपूर्ण बात यह कि घर बैठे हुये भी आस पास के लोगों में रोज़गार बढ़ेगा और लोग आत्मनिर्भर होने में कामयाब रहेंगे। रमेश बिष्ट ने यह भी बताया कि मशीन का संचालन किस तरह होना है, यह सिखाने की पूरी ज़िम्मेदारी स्वयं कंपनी की होगी। रमेश बिष्ट के अनुसार, मात्र 14,900 रु में आप मशीनों को कंपनी से खरीद कर ला सकते हैं। इससे संबंधित किसी भी तरह की जानकारी के लिये आप www.bishtudhyog.com पर जा सकते हैं या फ़िर 9639565309, 9720412107, 8479536621 पर सुबह 10 बजे से सायं 5 बजे तक संपर्क कर सकते हैं।