हल्द्वानी: अब प्रदेश के नाबालिगों को अपराधी नहीं बनने दिया जाएगा। दरअसल अगर कोई नाबालिग अपराध करता है तो उसे बालमित्र थाने में सुधारा जाएगा, जहां पर विशेष तरह की काउंसलिंग से उसको अपराधी के टैग से दूर रखा जाएगा।
जी हां राजधानी देहरादून में बालमित्र थाना स्थापित किए जाने के बाद अब प्रदेश भर में बालमित्र थानों की स्थापना होगी। यह काम बाल संरक्षण आयोग द्वारा किया जाएगा। जानकारी के अनुसार बाल संरक्षण आयोग कुमाऊं व गढ़वाल मंडल के सभी जनपदों में बालमित्र थाना स्थापित करेगा। हर थाने में पुलिस के अधिकारी नोडल अधिकारी होंगे।
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आपने देखा होगा कि नाबालिग बच्चे अगर कोई अपराध करते हैं तो उन पर अपराधी का टैग लगा कर यह दुनिया उन्हें वाकई बड़ा अपराधी बना देती है। मगर अब उत्तराखंड में ऐसा नहीं होगा। कुमाऊं में जल्द ही बालमित्र पुलिस थाने बनने जा रहे हैं। इन थानों में सीडब्ल्यूसी सदस्य, चाइल्ड हेल्पलाइन व विधि प्राधिकरण के सदस्य भी तैनात होंगे।
जानकारी के अनुसार जो भी नाबालिग नशा, भिक्षावृत्ति या फिर किसी भी तरह के छोटे अपराध में लिप्त होंगे उन्हें बालमित्र थानों में लाया जाएगा। जहां पर उनकी विशेष तरह की काउंसलिंग होगी। बाल संरक्षण आयोग का मानना है कि बालमित्र थानों से नाबालिगों को सही रास्ते पर लाना आसान होगा।
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सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सभी बालमित्र थाने जिलों के मुख्यालय में ही बनाए जाएंगे। इसके अलावा अगर नाबालिगों का बयान दर्ज होना से लेकर अन्य सभी सुविधाएं भी बालमित्र थाने में ही होंगी। इतना ही नहीं बालमित्र थाने का रंग रूप भी अलग होगा। नौनिहालों के लिए पढ़ने लिखने की व्यवस्था और किताबें भी रखी जाएंगी। साथ ही सीसीटीवी की कैमरे की नजर भी रहेगी। रंग-बिरंगे पोस्टर, कॉमिक्स, किताबें, आराम करने के लिए बिस्तर और अलग से शौचालय आदि भी होंगे।
बाल संरक्षण आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने जानकारी दी। उन्होंने बताया देहरादून में पहले ही बालमित्र थाना स्थापित किया जा चुका है। अब कोशिश है कि प्रदेश के सारे जिलों में यह थाने स्थापित किए जाएं। उन्होंने बताया कि इसकी तैयारी तेजी से चल रही है। जल्द ही कुमाऊं के जिला मुख्यालयों में भी बालमित्र थानों को खोला जाएगा।
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