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उत्तराखंड को हल्के में ना लें, हल्द्वानी के दीक्षांशु नेगी की ताबड़तोड़ फिफ्टी से लगभग जीत गई थी टीम

रणजी ट्रॉफी के लिए उत्तराखंड टीम का हुआ ऐलान, हल्द्वानी निवासी दीक्षांशु नेगी बने उप कप्तान

हल्द्वानी: कहते हैं कि खेल में हार जीत तो हमेशा लगी रहती है। मायने यह रखता है कि आपने जीत की तरफ कितनी कोशिशें की हैं। फिर भले चाहे आप हारे या जीते। उत्तराखंड की टीम विजय हजारे ट्रॉफी में तीन मुकाबलों में से अपना दूसरा मुकाबला हार गई। बीते दिन मध्य प्रदेश ने उत्तराखंड की टीम को 77 रनों से हरा दिया। लेकिन इसके पीछे की कहानी सिर्फ इतनी सी नहीं है।

उत्तराखंड की तरफ से हल्द्वानी निवासी दीक्षांशु नेगी ने ताबड़तोड़ 75 रन की पारी से एक बार तो उत्तराखंड खेल प्रेमियों के मन में जीत की भावना जगा दी थी। दरअसल, इस दौरान राजकोट में उत्तराखंड की टीम बीसीसीआई द्वारा आयोजित विजय हजारे ट्रॉफी के मुकाबले खेल रही है। जिसमें टीम ने पहले मुकाबले में छत्तीसगढ़ से हार के बाद चंडीगढ़ को पटखनी दी थी।

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इसी कड़ी में शनिवार को उत्तराखंड की टीम का मुकाबला मध्यप्रदेश के साथ हुआ। जिसमें मध्यप्रदेश ने पहले बल्लेबाजी करते हुए निर्धारित 50 ओवरों में 330 रन का पहाड़ खड़ा कर दिया। एमपी की तरफ से अभिषेक भंडारी ने 106 रनों की पारी खेली। इस दौरान वेंकटेश अय्यर और शुभम शर्मा ने क्रमानुसार 71 और 70 रन बनाए।

उत्तराखंड की तरफ से अग्रिम तिवारी, अंकित मनोरी व आकाश मधवाल ने ने दो-दो विकेट झटके। बाद में जब उत्तराखंड की टीम लक्ष्य का पीछा करने उतरी तो शुरुआत सधी सी हुई। कप्तान जय बिस्टा ने 57 गेंदों में 53 रन बनाए। हालांकि इसके बाद विकेट गिरे तो पारी लड़खड़ाती हुई नजर आई।

मगर रॉबिन बिष्ट और स्वपनिल सिंह ने पारी को संभाला। स्वपनिल ने 28 तो रॉबिन ने 39 रन बनाए। एक तरफ से विकेट गिरे जरूर मगर बाद में दीक्षांशु नेगी ने एक छोर पकड़ कर रखा। हल्द्वानी लालडांठ निवासी दीक्षांशु नेगी ने 58 गेंदों में ताबड़तोड़ 75 रनों की पारी खेली। इस दौरान उन्होंने 7 चौके और 2 छक्के जड़े।

यह कहना लाजमी होगा कि अगर दूसरे छोर से दीक्षांशु को साथ मिला होता तो आज उत्तराखंड की टीम ने इतिहास रच दिया होता। वाकई 330 रनों जैसे पहाड़ लक्ष्य का पीछा करते हुए जीत हासिल करना एक बहुत बड़ी बात होती। गौरतलब है कि मध्य प्रदेश की तरफ से पुनीत दाते ने सर्वाधिक 3 विकेट झटके। उत्तराखंड इस मुकाबले को 77 रनों से हार गया। लेकिन टीम ने ये दिखाया है कि उन्हें हल्के में नहीं लिया जा सकता। ऐसा नहीं है कि टीम खराब प्रदर्शन कर रही है। विशेषज्ञों को मानें तो बस टीम के सभी खिलाड़ी एक साथ परफॉर्म नहीं कर पा रहे हैं। जिस दिन टीम ने एकजुट होकर खेलना शुरू कर दिया, उस दिन रिज़ल्ट बेहतर होंगे।

दीक्षांशु नेगी की बात करें तो दीक्षांशु आइपीएल की सबसे सफल फ्रेंचाइजी मुंबई इंडियन्स के साथ जुड़े थे। उन्हें बतौर सपोर्टिंग खिलाड़ी टीम के साथ जोड़ा गया था। दीक्षांशु इस साल आइपीएल के दोनों लेग (भारत और यूएई) में टीम के साथ जुड़े हुए थे। दीक्षांशु का मुंबई इंडियन्स में चुना जाना उनकी काबिलियत को बाखूबी दर्शाता है।

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