पिथौरागढ़: कारगिल विजय दिवस के मौके पर पूरा देश वीर सपूतों की शहाद याद कर रहा है। कारगिल युद्ध में देवभूमि के भी कई जवानों ने अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। केवल पिथौरागढ़ जिले से ही चार सपूत देश की मिट्टी की खातिर शहीद हो गए थे। आज सही मौका है उन्हें नमन करने व श्रद्धांजलि देने का।
युद्ध की बात सुनकर जहां आम इंसानों के हाथ पैर फूल जाते हैं, वहीं सरहद पर खड़े हमारे जवान सीना चौड़ा कर दुश्मनों से भिड़ जाते हैं। पिथौरागढ़ के किशन सिंह भंडारी, गिरीश सिंह सामंत, कुडंल बेलाल और जवाहर सिंह भी इस युद्ध में दुश्मनों से लड़ाई में शामिल हुए थे। देश के लिए लड़ते लड़ते हमारे जवान शहीद हुए थे।
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शहीद लांसनायक किशन सिंह भंडारी – पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय से 25 किमी दूर स्थित जजुराली गांव निवासी लांसनायक किशन सिंह भंडारी कारगिल युद्ध में दुश्मनों से लोहा लेते शहीद हो गए थे। तब पत्नी तनुजा के अलावा दो पुत्रियां और डेढ़ वर्ष के पुत्र की परवरिश के लिए बड़ा संकट खड़ा हो गया था। मगर इसके बाद ससुर पूर्व सैनिक मान सिंह भंडारी, सरकारी मदद व अपने प्रयासों से इस परिवार ने खुद को उबार लिया।
शहीद हवलदार गिरीश सिंह सामंत – देवलथल तहसील के क्षेत्र उड़ई गांव निवासी हवलदार गिरीश सिंह सामंत कारगिल युद्ध में अपने बुलंद हौसलों का परिचय देने का बाद शहीद हुए थे। शहादत के समय शहीद की पुत्री मोनिका और पुत्र अमित काफी छोटे थे। पत्नी शांति अपने पति की शहादत के बाद कई दिनों तक सदमे में रहीं। बाद में इस वीरागंना ने खुद को संभालते हुए बच्चों की परवरिश कर उच्च शिक्षा दिलाई।
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शहीद कुंडल सिंह बेलाल – तहसील पिथौरागढ़ के बेलाल गांव निवासी 23 वर्षीय कुंडल सिंह बेलाल इतनी कम उम्र में देश की रक्षा के लिए शहीद हो गए थे। एक तरह से अभी जीवन की शुरुआत होनी भी बाकी थी। बहरहाल उस वक्त भाई प्रकाश बेलाल ने टूट चुके माता कूना देवी और पिता राम सिंह बेलाल को संभाला।
शहीद जवाहर सिंह – कारगिल युद्ध में दुश्मनों के मंसूबों को ढेर करने के लिए लड़ रही भारतीय सेना की तरफ से जवाहर सिंह भी खूब लड़े। अपनी हिम्मत का परिचय व देश की रक्षा करते हुए जवाहर सिंह शहीद हुए थे। उनके परिवारजनों ने भी तमाम मुश्किलों के बाद अपने को संभाला।
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