हल्द्वानी: किसी भी बात को कहने में और करने में जमीन आसमान का अंतर होता है। अब उत्तराखंड के शिक्षा विभाग को ही देख लीजिए। प्राइवेट स्कूलों में फीस का मामला किसी से भी छिपा नहीं है। इसी फीस को लेकर शिक्षा विभाग ने प्राइवेट स्कूलों के लिए आदेश जारी किया था। लेकिन यह जारी हुआ आदेश अब तक प्राइवेट स्कूलों को नहीं मिला है। जिसके चलते प्राइवेट स्कूल और अभिभावक इसको लेकर काफी असमंजस में हैं।
शिक्षा विभाग ने बीते दिनों स्कूलों की फीस को लेकर शासनादेश जारी किया गया था। यह आदेश जारी करने का मूल कारण यही था कि स्कूलों के खुलने के बाद से विद्यालय और अभिभावक, दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था फीस के लेनदेन का क्या पैमाना होगा। आदेश जारी किया गया था जिसमें कहा गया था छात्रों से केवल ट्यूशन फीस ली जाएगी। इसके अलावा 11वीं और 12वीं के वह बच्चे जो लॉकडाउन के बाद से स्कूल आना शुरू कर चुके हैं उन्हें पूरी फीस देनी होगी।
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सिवाय बोर्ड परीक्षार्थियों के और कोई भी विद्यार्थी पूरी फीस ना दे। इसके अलावा शिक्षा विभाग के आदेश में स्कूलों से यह भी कहा गया था कि यह विद्यालयों पर निर्भर करता है कि वह किस तरीके से अभिभावकों से फीस लेना चाहते हैं। विद्यालय चाहे तो किस्तों में भी फीस ले सकते हैं और विद्यालय चाहे तो एक बार में भी ले सकते हैं।
अब आदेश कहने को कब का जारी हो गया है मगर स्कूलों में और जिलों के तमाम विद्यालयों में पहुंचा ही नहीं है। इस संबंध में शिक्षा विभाग का कहना है कि कार्यालय आदे आने के बाद ही अगली कार्रवाई की जा सकेगी। इधर पब्लिक स्कूल एसोसिएशन हल्द्वानी के अध्यक्ष कैलाश भगत ने कहा कि फीस को लेकर शासनादेश जारी होने की जानकारी तो मिली थी। अब शासनादेश जारी तो हो गए मगर अभी भी स्कूल संचालक फीस को लेकर खासा समस्याओं का सामना कर रहे हैं।
कैलाश भगत ने कहा कि अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है। दूसरी तरफ देखे तो खंड शिक्षा अधिकारी हल्द्वानी हरेंद्र कुमार मिश्रा कहते हैं फीस को लेकर कार्यालय आदेश का इंतजार कर रहा है। आदेश के मिलते ही स्कूलों को उपलब्ध कराया जाएगा।
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