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बड़े बुजर्ग नही बल्कि सरकार तय करेगी आपकी शादी में आने वाले मेहमानों की संख्या


नई दिल्ली: जी हां आपने सही सुना परिवार वालें नहीं बल्की सरकार आपकी शादी में आने वालों की संख्या तय करेगी। वैसे तो शादी समारोह में जो भी फैसले लिए जाते है वो परिवार से बातचीत कर और बड़े बुजर्ग की सलाह लेने के बाद ही लिए जाते हैं। ऐसा ही एक फैसला दिल्ली सरकार ने लिया है। दिल्ली सरकार ने शादियों और पार्टी के वेन्यू को लेकर एक नई ड्राफ्ट पाँलिसी बनाई है। अगर आप भी दिल्ली में रहतें हैं और शादी करने की सोच रहें हैं तो दिल्ली सरकार की नई ड्राफ्ट पाँलिसी जिसमें पार्टी वेन्यू को लेकर किसी भी फाँर्महाउस,मोटल या होटल में शादी समारोह के लिए आप कितने मेंहमानो को निमंत्रण देने का फैसला वेन्यू के फ्लोर एरिया और उसकी पार्किंग क्षमता के आधार पर किया जाएगा।

शादियों में अक्सर देखा गया है की वेन्यू में शामिल हुए मेहमान कुछ जरुरत से ज्रयादा शामिल हो जाते हैं। जिसके चलते वेन्यू में अक्सर जगह कम पड़ जाती है। दिल्ली सरकार ने इस समस्या का समाधान निकालते हुए एक पाँलिसी निकाली है जिसमे शादि में आने वाले मेहमानों की संख्या सरकार तय करेगी। इसके लिए वेन्यू के फ्लोर एरिया को 1.5 स्क्वायर मीटर से विभाजित किया जाएगा और वेन्यू पर खड़ी होने वाली कारों की संख्या को 4 से गुणा किया जाएगा। जो भी आंकड़ा कम रहेगा, उतनी ही अधिकतम संख्या में आप मेहमानों को शादी में बुला सकेंगे।

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दिल्ली सरकार ने एक और बड़ा फैसला लिया है की शादी में जो खाना बर्बाद हो जाता है उस खाने को गरीबों को बांटा जाएगा। इस पाँलिसी के तहत वेन्यू के बाहर वेडिंग की रस्में,बैंड और बारात व घोड़ागाड़ी की अनुमति नहीं दी जाएगी। सड़कों पर नो पार्किंग पर कार पार्क करने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी। आपको बताते चलें कि दिल्ली सरकार ने इस ड्राफ्ट पॉलिसी को अपनी वेबसाइट पर डाल दिया है। 18 मार्च से पहले दिल्ली की जनता से इसके बारे में फीडबैक मांगा गया है। इस पॉलिसी नोटिफिकेशन के जरिए सरकार उन गेस्टहाउस व बैंक्वेट हॉल को बंद करना चाहती है जो सामाजिक कार्यक्रमों के लिए जरूरी नियम व शर्तों को पूरा नहीं करते।

ड्राफ्ट पॉलिसी के अनुसार, शादी के आयोजकों को 7 दिन पहले ही अर्बन लोकल बॉडीज से अप्रूवल लेना होगा। यह अनुमति तभी मिलेगी जब आयोजक आने वाले मेहमानों की संख्या और सभी नियमों के पूरा होने की जानकारी देंगे। एक तरफ से देखा जाए तो दिल्ली सरकार की ओर से लिया गया ये फैसला सही है। जहां एक तरफ शादियों में लगने वाले भारी जाम ले लोगों को फायदा होगा वहीं दूसरी ओर बर्बाद होने वाले खाने से किसी गरीब का पेट भरेगा।

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