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पुलिस ने किया नकली शराब बनाने वाली फैक्टरी का भंडाफोड़


देहरादूनः राज्य में नकली शराब का उत्पादन और शराब तस्करी के मामले बढ़ते ही जा रहें हैं। पुलिस आए दिन इन फैक्ट्रियों में बन रहे जहर का भंडाफोड़ करने में कामयाब रहती है। ऐसा ही एक बड़ी छापेमारी में पुलिस ने हरिद्वार बाईपास पर एक वर्कशॉप की पहली मंजिल पर चल रही नकली शराब बनाने की फैक्ट्री पर छापा मार कर भंडाफोड़ किया है। पुलिस ने सरगना समेत चार लोगाें को मौके से गिरफ्तार कर लिया और शराब का जखीरा बरामद किया है। फैक्ट्री से ड्रमों में भरी 400 लीटर स्प्रिट अल्कोहल और देसी शराब के पव्वों की 65 पेटी बरामद की गई हैं।वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती का कहना है कि उन्हें इस मामले की सूचना मिली थी जिसके बाद उन्होनें इस मामले की जांच के लिए एसओजी प्रभारी ऐश्वर्य पाल, रानी पोखरी थानाध्यक्ष पीडी भट्ट और नेहरू कालोनी एसओ दिलबर नेगी की संयुक्त टीम गठित की। मंगलवार शाम को सूचना की पुष्टि होने के बाद संयुक्त टीम ने वर्कशॉप पर छापेमारी की। पुलिस ने वर्कशॉप में चार लोगों को शराब की पेकिंग करते हुए गिरफ्तार किर लिया। पकड़े गए लोगों में रविन्द्र पाल सिंह निवासी जड़ौदा गेट जगाधरी, यतेन्द्र सिंह निवासी सियाली बुलंदशहर,संजय निवासी सैदपुर बुलंदशहर और राहुल कुमार निवासी मांगरोल शामिल हैं।एसएसपी का कहना है कि आरोपी संजय काफी समय से शराब की तस्करी का धंधा चला रहा था। संजय ने हरियाणा के रविंद्र पाल के साथ इस फैक्ट्री की शुरूवात की थी। जिसके बाद आरोपियों ने वर्कशॉप किराए पर लेने के साथ पहली मंजिल का हिस्सा अपने निजी काम के लिए ले लिया। आरोपियों ने बताया की कच्चा माल सोनू सरदार और रविंद्र पाल लाया करते थे।एसपी सिटी श्वेता चौबे का कहना है कि आरोपियों ने उन्हें बताया कि संजय शराब के लेबल, हॉलमार्क और स्टीकर शामली से छपवा कर लाता था और कबाड़ियाें के मदद से शराब की खाली बोतलें और पव्वों की व्यवस्था की जाती थी। सजंय और रविंद्र ने धंधे में मुनाफा बढ़ने के लिए यतेन्द्र और राहुल को भी अपने साथ जोड़ लिया था।पुलिस ने मौके से खाली पव्वों के छह कट्टे, खाली बोतलों के चार कट्टे, ढक्कन लगाने वाली मशीन, कई कंपनियों के लेबल, रेपर, हॉलमार्क, स्टिकर, पानी की बीस बोतल, एल्कोमीटर भी बरामद किए हैं। बता दें की शराब की तस्करी के लिए आरोपी बीएमडब्लू जैसी महंगी कारों का इस्तेमाल करते थे। जिससे उनपर शक ना हो। इतना ही आरोपी पुरी तैयीरी के साथ काम को अंजाम देते थे। शराब की तस्करी करते समय गैंग का एक सदस्य गाड़ी से एक किलोमीटर आगे चलता था, जिससे पुलिस की चेकिंग होने पर वह अपनी गैंग को अलर्त कर देता।

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