नैनीतासः सरोवर नगरी में तब हड़कंप मच गया जब यहां की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक के नीचे लगभग 100 फुट लंबी और तीन फुट चौड़ी दरार आ गई। नैना पीक सबसे ऊंची चोटी होने के साथ-साथ पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी है। जो भी नैनीताल का दीदार करने आता है वो नैना पीक की सुदंरता का आनंद लेने वहां हमेशा जाता है और वहां की खूबसूरत वादियों में खो जाता है।
बता दें कि नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी नैना पीक के नीचे लगभग 100 फीट लंबी और आधे से तीन फीट तक चौड़ी दरार नजर आने से शहर के लोगों में हड़कंप मचा दिया है। लोगों में दहशत इसलिए ज्यादा है क्योंकि बारिश का मौसम पास आने के वजह से दरार के बढ़ने का खतरा और भी ज्यादा बढ़ जाएगा।एसडीएम विनोद कुमार का कहना है कि प्रशासन की ओर से की गई जांच के बाद शासन को रिपोर्ट भेजी गई थी। जिस पर नैना पीक चोटी के संरक्षण कार्यों के लिए जांच के लिए एक हाईपावर कमेटी गठित की गई थी। इस कमेटी में वाडिया इंस्टीट्यूट के विशेषज्ञ और अन्य भू-वैज्ञानिक शामिल हैं। कमेटी को विस्तृत रिपोर्ट देनी है। लॉकडाउन के कारण कोई कार्य नहीं हो पाया।
इसी साल 29 जनवरी और 2 फरवरी को नैना पीक की पहाड़ी में भूस्खलन हुआ था और विशाल बोल्डर भी गिरे थे। इसके बाद जिला प्रशासन ने लोक निर्माण विभाग, जीएसआई, आपदा प्रबंधन और भू वैज्ञानिकों के साथ क्षेत्र का निरीक्षण किया था और पहाड़ी के ट्रीटमेंट संबंधी रिपोर्ट शासन को भेजी थी। बता दें कि नैना पीक समुद्र सतह से 2610 मीटर की ऊंचाई पर है। इसकी तलहटी में उच्च न्यायालय, उत्तराखंड प्रशासन अकादमी सहित कई होटल स्थित है। प्रशासन को जल्द ही इस विषय पर कार्य करना होगा। क्योंकि अगर दरार बढ़ने के कारण कोई घटना होती है तो काफी भारी नुकसान होगा। शहरवासियों की सुरक्षा के लिए प्रशासन को जल्द ही इसपर बड़े कदम उठाने होंगे। शहर के लोग जहां एक तरफ कोरोना वायरस के मामले आने से काफी डरे हुए हैं वहीं दूसरी तरफ नैना पीक में दरार आऩे से वे और भी ज्यादा दहशत में आ गए हैं।