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उत्तराखण्ड: गुस्से में गजराज,एक साल में 30 लोगों की ली जान


हल्द्वानी: रामनगर क्षेत्र में सैलानियों के लिए गजराज जानलेवा साबित हो रहे हैं। प्रतिदिन हाथियों के तांडव की खबरे सामने आ रही है। वहीं एक आंकड़ा सामने आ रहा है जो चिंता का विषय है। पिछले एक साल की बात करें तो झारखंड और उत्तराखंड में हाथियों के हमले से 119 लोग मारे गए हैं। यह संख्या झारखंड में 89 और उत्तराखण्ड में 30 है। बात पिछले महीने की करें तो झारखंड के तीन जिलों में नौ लोगों को मार डाला। इसके अलावा दोनों राज्यों में बड़े पैमाने पर फसलें नष्ट करने और मकानों को क्षतिग्रस्त करने की घटनाएं भी लगातार बढ़ रही हैं।


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हाथी भोजन, पानी और प्रजनन के लिए खास तरह के मार्ग से आवागमन करते हैं। हाल के कुछ सालों में हाथियों के कई बड़े और प्राकृतिक कॉरिडोर बंद हो गए हैं अथवा उनपर निर्माण आदि होने लगे हैं। रास्ते में रुकावट, भोजन और पीने के पानी की कमी के चलते वो आबादी क्षेत्र में घुस गए हैं। उनका आबादी वाले क्षेत्र में आने का मुख्य कारण जंगलों को लगातार कटान और उनकी सघनता कम होना भी है। जून में झुंड से बिछड़े जंगली हाथी ने तीन जिलों गोड्डा, दुमका और जामताड़ा में 9 लोगों को मौत के घाट उतार दिया।अध्ययन में यह बात सामने आई कि केवल दो मामले में हाथी ने पहले हमला किया, जबकि सात मामलों में रास्ता रोके जाने, हाथी के साथ सेल्फी लेने और उसे उकसाने से आक्रमक होकर हाथी ने लोगों को कुचल डाला।झारखंड के वन्यजीव विशेषज्ञ एजी अंसारी की मानें तो हाथी और हिंसक हो सकते हैं। जंगलों में बढ़ती पर्यटन गतिविधियां इसका मुख्य कारण है। इसके अलावा सूखते जलस्रोत और हाथी कारिडोर में हो रहे निर्माण भी मुसीबत का सबब हैं। अध्ययन कर हाथियों के हमलों को नियंत्रित नहीं किया गया तो गंभीर परिणाम होंगे। वहीं रामनगर क्षेत्र में हाथियों ने सैलानियों को परेशान किया हुआ है। विभाग अब उन्हें काबू में करने के लिए आटे में मिर्च डालकर उनके गोले बनाकर उनके खाने के लिए जंगल में रखेगा। माना जा रहा है कि इससे हाथी आटा पसंद नहीं करेगा और सैलानियों पर खाने को लेकर हो रहे हमलों की संख्य़ा भी कम होगी।

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