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हल्द्वानी की दंपति ने कोरोना से लड़ने के लिए बनाई मशीन,देशभर में हो रही चर्चा


हल्द्वानी की दंपति ने कोरोना से लड़ने के लिए बनाई मशीन,देशभर में हो रही चर्चा

हल्द्वानीः कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में आतंक मचा रखा है। इस माहामारी ना जाने कितने लोगों की जान ले ली है। कोरोना को हराने के लिए लॉकडाउन किया गया है। ताकि लोग लॉकडाउन के नियमों का पालन करें और कोरोना को फैलने से रोके। इस माहामारी ने लोगों को एक चीज तो सीखा दी है कि वे अपने आप को पूरी तरह सैनेटाइज करें। कोरोना से बचने के लिए सबसे कारगार उपाय ये ही है की आप अपने आप को और आपके पास आने हर व्यक्ति को सैनेटाइज करें। भारत में कई जगह लोग इस माहामारी से बचने के लिए अलग-अलग तरह के उपकरण बना रहे हैं। ऐसे में कालाढूंगी की एक दंपति ने कुछ ऐसा कर दिखाया है जिसकी पूरे राज्य और देश में वाहवाही हो रही है। दंपति ने एक सैनेटाइजर मशीन तैयार की है जिसकी हर कोई चर्चा कर रहा है।

मूलरूप से पिथौरागढ़ जिले के गंगोलीहाट के रहने वाले चकलुवां निवासी युगल किशोर पंत और पत्नी बीना पंत के साथ मिलकर कोरोना वायरस के बचाव हेतु एक मशीन बनाने का फैसला किया। इसके बाद दोनों ने मशीन को बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिया। यह एक सैनिटाइज मशीन है। लॉकडाउन के चलते बाजार बंद था तो इसे लोगों तक कैसे पहुंचाया जाए ये पंत दंपत्ति के सामने चुनौती थी लेकिन उन्होंने बहाना नहीं बनाया और सोशल मीडिया की मदद लेना शुरू किया। दोनों को यहां से अच्छा रिपोंस आने लगा।

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सैनिटाइज मौजूदा वक्त में कितना अहम हो गया है ये बताने की जरूरत नहीं है। ऐसे में ये मशीन भीड़भाड़ वालों इलाकों में इस्तेमाल की जा सकती है। जैसे बैंक, ऑफिस, रेलवे स्टेशन, रोडवेज स्टेशन से लेकर मॉलों में इसे इंस्टॉल कर सकते हैं। इस मशीन की गारंटी पांच साल है।

दंपत्ति का कहना है कि उन्होंने बताया कि स्पेयर पार्ट, सेंसर समेत मशीन के कई सामान उन्होंने खुद लॉकडाउन के चलते घर पर ही बनाए। अगर कोई सामाजिक संस्था फंड देकर या फिर उनके पार्टस का शुल्क देकर मशीन तैयार करवाना चाहती है तो वह काफी कम शुल्क और निशुल्क भी अपनी सेवा देने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि हमें अपने देश के हर नागरिक को कोरोना जैसी महामारी से बचाना है। इसके लिए वह दिन-रात मेहनत कर मशीनें तैयार करने के लिए हमेशा आगे रहेंगे। उन्होंने बताया कि यह मशीन हिन्दी, अंग्रेजी, कुमाऊंनी, गढ़वाली, उर्दू समेत कई भाषायें बोलती है। जो ज्यादा पढ़ा लिखा नही हैं वो भी इसकी भाषा समझकर अपने को सैनेटाइज कर सकता है। यह मशीन सैनेटाइज करने के साथ-साथ बोलती भी है। हाथों के आगे बढ़ाने पर ये मशीन अलग-अलग तरीके से सैनेटाइज करती है।

उनका मुख्य उद्देश्य बेरोजगार युवाओं को रोजगार देना और स्वदेशी पर जोर देना है। उन्होंने अपने यहां बिजली की माला बनाने के लिए 12 युवाओं को रोजगार दिया है। वे चाहते हैं कि अपने ही देश के बनाए गए प्रोडक्टस का इस्तमाल किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि आगे भी कोरोना को मात देने के लिए कई और मशीनों का निर्माण कर रहे है जो देश को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। साथ ही बेरोजगार युवाओं को भी इससे रोजगार मिल सकेगा। वो कहतें हैं ना किसी चीज को दिल से चाहो चो वो जरूर पूरी होती है। पर आपको अपने सपनों को पूरा करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है। इसका सबसे बड़ उदाहरण है पंत दंपति।

बता दें कि युगल किशोर पंत कि चकलुआं में गणपति electro एंड पावर नाम की कंपनी है। इसमें वह विदेशी से दूरी और स्वदेशी वस्तुओं का निर्माण करते हैं। इससे पहले भी दंपति ने दिवाली पर स्वदेशी बिजली की मालाएं बनाकर खूब सुर्खियां बटोरी थी। पूरे देशभर से उनके पास डिमांड आयी। इस बिजली की माला में उन्होंने एक साल की गारंटी भी दी थी जो अन्य मालाओं में नहीं मिलती है।

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