नई दिल्ली: समाज में आज भी ट्रांसजेंडर समुदाय को एक अलग नजर से देखा जाता है। किसी ट्रांसजेंडर को अपनी पूरी जिंदगी में क्या कुछ सहन करना पड़ा है, हम इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। ऐसी ही एक प्रेरणादायक सफर से हम आपको आज रूबरू कराएंगे। भारत की पहली ट्रांसजेंडर सिविल सेवा अधिकारी बनीं ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान ने समाज से लढ़कर आज अपने लिए एक मुकाम बनाया है।
बता दें कि ओडिशा के कंधमाल जिले के कतिबागेरी गांव की निवासी ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान के लिए उनका जीवन तब बदला जब वह छठी क्लास में थीं। यही वह समय था, जब ऐश्वर्या को औरों से अलग होने का पहली बार एहसास हुआ। इस सत्य को स्वीकार करने के अतिरिक्त उनके पास कोई चारा भी नहीं था। उन्होंने इसे स्वीकारा और धीरे धीरे उनका व्यवहार महिलाओं के जैसा होने लगा।
हालांकि, यह बदला हुआ व्यवहार उनके लिए मुश्किलें लेकर भी आया। लोग उनसे दूर हो रहे थे। स्कूल में टीचर बेइज्जती करते थे और क्लास में उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। ऐश्वर्या ने सब कुछ सहते हुए पढ़ाई पूरी की। इसके बाद इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ मॉस कम्युनिकेशन (IIMC) से ग्रेजुएशन की डिग्री ली और फिर लोक प्रशासन में पीजी भी किया।
खुद को बेहतर जीवन देने और साबित करने की ललक ने ऐश्वर्या को किसी पड़ाव पर ठहरने नहीं दिया। साल 2010 में ऐश्वर्या ऋतुपर्णा प्रधान एक पुरुष कैंडिडेट के रूप में ओडिशा की राज्य सिविल सेवा परीक्षा में शामिल हुईं और उनकी मेहनत रंग लाई। उन्होंने परीक्षा को क्वॉलिफाई किया। मगर मुश्किल अभी भी कम नहीं हुई थीं। कई सारे लोगों का कहना था कि ऐश्वर्या इस पद के काबिल नहीं हैं।
अच्छी खबर आई साल 2014 में…जब लंबी लड़ाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर को तीसरे जेंडर के रूप में मान्यता दी। ऐश्वर्या ने बाद में अपना जेंडर पुरुष से महिला में बदलने का फैसला किया और सारी कागजी कार्रवाई भी पूरी कर ली। ओडिशा की राज्य सिविल सेवा परीक्षा पास करने के बाद ऐश्वर्या पारादीप पोर्ट टाउनशिप में एक वाणिज्यिक कर अधिकारी के रूप में कार्यरत हुई थीं। आज ऐश्वर्या की कहानी निश्चित रूप से ट्रांसजेंडर वर्ग के लिए बड़ी मिसाल है।