हरिद्वार: राज्य को उत्तराखंड के अलावा देवभूमि नाम से पुकारे जाने के पीछे का कारण साफ है। एक युग में उत्तराखंड में कई सारे देवों का वास रहा है। देवों की भूमि होने के कारण ही उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है। अब प्राचीन काल में बोली जाने वाली संस्कृत भाषा को एक बार फिर से सांसें देने का काम भी उत्तराखंड से होने जा रहा है।
दरअसल उत्तराखंड में बहुत जल्द देश का पहला संस्कृत चैनल शुरू होने वाला है। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी द्वारा अखिल भारतीय ज्योतिष सम्मेलन आयोजित किया गया। जिसका विषय ‘वर्तमानकाले ज्योतिषशास्त्रस्य उपायदेता रोगोपचारश्च’ था। इसी सम्मेलन में पधारे अति विशिष्ट अतिथि उत्तराखंड में संस्कृत शिक्षा के सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी ने जानकारी दी।
सचिव रतूड़ी ने बताया कि बहुत जल्द देश का पहला संस्कृत चैनल प्रारंभ होगा। इसके लिए सरकार भी प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि संस्कृत चैनल के माध्यम से संस्कृत व संस्कृति से संबंधित कार्यक्रमों को प्रसारित किया जाएगा। गौरतलब है कि इस चैनल के खुलने से संस्कृति का तो प्रचार प्रसार तो होगा ही। इसके साथ ही युवा पीढ़ी को अपनी संस्कृति के बीच से निकली भाषा सीखने को मिलेगी।
इस मौके पर मुख्य अतिथि प्रो. देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि वेद ही सारी विद्याओं का सार है। वेद की शाखा ही ज्योतिष है। उन्होंने कहा कि ज्योतिष अपने आप में विज्ञान है। इसके शास्त्रीय अध्ययन करने से इंसान भूत, वर्तमान के साथ ही आने वाले भविष्य में होने वाली घटनाओं को भी जान सकता है।