नई दिल्ली: आईपीएल-16 में केकेआर के लिए आखिरी ओवर में पांच छक्के जड़ रिंकू सिंह ने इतिहास रच दिया है। कोलकाता नाइट राइडर्स को गुजरात टाइटंस के खिलाफ आखिरी ओवर में जीत के लिए 29 रन चाहिए थे। उत्तर प्रदेश अलीगढ़ के रहने वाले रिंकू सिंह ने इस नामुमकिन से स्कोर को हासिल कर दिया। गुजरात के खिलाफ रिंकू सिंह ने 21 गेंदों में 48 रनों की नाबाद पारी खेली। उनके बल्ले से 1 चौका और 6 छक्के निकले।
आईपीएल इतिहास में आखिरी ओवर में पांच छक्के लगाने वाले रिंकू पहने बल्लेबाज बन गए हैं। पिछले साल भी लखनऊ के खिलाफ उन्होंने लक्ष्य का पीछा करते हुए इस तरह की पारी खेली थी लेकिन टीम को जीत दिलाने में वह कामयाब नहीं हुए थे। बता दें कि रिंकू सिंह घरेलू क्रिकेट में उत्तर प्रदेश के लिए खेलते हैं और ताबड़तोड़ बल्लेबाजी के लिए जाने जाते हैं।
रिंकू सिंह अलीगढ़ के रहने वाले हैं। वह पांच साल से केकेआर टीम में हैं। साल 2018 में केकेआर ने रिंकू को 80 लाख रुपए देकर खरीदा था लेकिन उन्हें ज्यादा मुकाबले खेलने को नहीं मिले। रिंकू सिंह घरेलू क्रिकेट में अपना दम दिखाते रहे और केकेआर इसी वजह से उन्हें रिलीज करने को तैयार नहीं हुआ और टीम के भरोसे पर वह अब खरा उतर रहे हैं।
25 वर्षीय इस बल्लेबाज के लिए क्रिकेट के मैदान तक पहुंचना आसान नहीं रहा था। उनके पिता एक गैस सिलेंडर वेंडर थे। उनके चार और भाई हैं। कोई ऑटो चलाता था तो कोई कहीं मजदूरी करता था। रिंकू का परिवार भी उनके क्रिकेट खेलने के पक्ष में नहीं था। परिवार की आर्थिक हालात को देखते हुए रिंकू सिंह ने भी क्रिकेट छोड़ दिया था और वह नौकरी करने लगे थे।
कहते हैं ना प्यार से पीछा कभी नहीं छूटता है और रिंकू के साथ भी ऐसा ही हुआ। रिंकू ने नौकरी छोड़ी और क्रिकेट की तरफ बढ़ने का मन बना लिया। उन्हें एहसास हो गया था कि क्रिकेट उनके परिवार को स्थिति को बेहतर बनाएगा। शुरू में रिंकू खुद से ही क्रिकेट का अभ्यास किया लेकिन अंडर-16 ट्रायल में उन्हें कामयाबी नहीं मिली।
रिंकू को प्रॉपर ट्रेनिंग देने के लिए अलीगढ़ के मोहम्मद ज़ीशान ने उनकी मदद की, फिर रिंकू सिंह को अलीगढ़ के ही मसूद अमीन से कोचिंग मिलने लगी। मसूद आज भी उनके कोच हैं। परिश्रम ने उन्हें फल दिया। रिंकू की घरेलू क्रिकेट में एंट्री हुई। वह रणजी खेले, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में खेले। इससे उनकी आर्थिक स्थिति सुधरती गई। अच्छे प्रदर्शन ने रिंकू सिंह के आत्मविश्वास को भी बढ़ा दिया और उनका खेल सुधरता चला गया। कई मौको पर रिंकू खुद कहते हैं कि वह टीम को जीत दिलाने में पूरी ताकत झोंक देते हैं। उनके लिए कुछ भी असंभव नहीं है।