नई दिल्लीः कई बार देखा गया है कि बैंक में कस्टमर्स के खाते से पैसे निकाले जाते थे जिसकी जिम्मेदारी बैंक की नहीं बताई जाती थी। पर इस पर एक कस्टमर ने बैंक की जिम्मेदारी बताते हुए केरल हाई-कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जिसमें हाई-कोर्ट ने बैंक को फटकार लगाते हुए कहा कि बैंक अपने ग्राहक के अकाउंट्स से बिना उनकी अनुमति के रकम निकलने पर जिम्मेदारी से नहीं बच सकते है। जस्टिस पी बी सुरेश कुमार ने अपने आदेश में यह भी स्पष्ट किया कि अगर कस्टमर SMS अलर्ट का जवाब नहीं देता तो भी पूर्ण रूप से बैंक की ही जिम्मेदारी होगी। और साथ ही रकम निकलने की पूरी जिम्मेदारी बैंक को ही लेनी होगी। उनका कहना था कि किसी कस्टमर की जिम्मेदारी तय करने के लिए SMS अलर्ट आधार नहीं हो सकता। ऐसे अकाउंट होल्डर्स भी हो सकते हैं, जिन्हें नियमित तौर पर SMS अलर्ट देखने की आदत नहीं होती।
स्टेट बैंक आँफ इंडिया ने केरल हाई कोर्ट में एक निचली अदालत के आदेश के खिलाफ अपील की थी। इस आदेश में अनधिकृत तौर पर रकम निकाले जाने के कारण एक कस्टमर को हुए 2.4 लाख रुपये के नुकसान की भरपाई करने के लिए कहा गया था। कस्टमर ने इस रकम को ब्याज के साथ लौटाने की मांग की थी। कोर्ट का यह भी कहना था कि कस्टमर्स को नुकसान पहुंचाने वाली सभी तरह की गड़बड़ी को रोकने के लिए सिस्टम को सुरक्षित बनाना बैंक का दायित्व है।अनऑथराइज्ड ट्रांजैक्शंस की जानकारी बैंक को देने और अकाउंट ब्लॉक करने से जुड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के एक सर्कुलर का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि यह केवल बैंकों को उनकी जवाबदेही और जिम्मेदारी की याद कराता है और इससे कोई नए अधिकार या दायित्व नहीं बनते। कोर्ट ने कहा कि अगर कस्टमर को धोखेबाजों की ओर से की गई ट्रांजैक्शंस से नुकसान होता है तो इसके लिए बैंक जिम्मेदार है क्योंकि उसने इसे रोकने का सिस्टम नहीं बनाया है