नैनीताल: नैनीझील की सुंदरता विश्व में प्रख्यात है लेकिन झील में नालों व कचरो का मलबा मिलने के कारण नैनीझील प्रदूषित हो गई है। इसी प्रदूषित झील को प्रदूषण मुक्त बनाने के लिए उत्तराखंड के सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मुहिम जारी की है। इस मुहिम के अन्तर्गत नैनी झील की आंतरिक प्रोफ़ाइल विकसित की जाएगी। झील की गहराई को मापना, पानी की गुणवत्ता को जांचना और जैव विविधता का विश्लेषण इसरो और सुदूर संवेदी संस्थान के सहयोग द्वारा पूरा किया जाएगा।
सविन बंसल डीएम के अनुसार नैनीझील में पांच नालों का कचरा मलबा गिरने व फेकने की जानकारी को कैमरे के द्वारा रिकॉर्ड किया जा रहा है। इनकी मॉनिटरिंग मल्ली ताल कोतवाल के साथ कंट्रोल रूम से की जा रही है। झील की सफाई होने के कारण पानी की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा। नालों पर कूड़ा डालने वालों पर पालिका द्वारा जुर्माना भी लगाया जा रहा है।
नैनी झील से कूड़ा मलबा निकालने के लिए तीन लाख रुपए की दो नौकाएं आपदा प्रबन्धन की मदद से नगर पालिका को उपलब्ध कराई थी। नगर पालिका प्रत्येक दिन नालों व झीलों की सफाई करती है और पर्यावरण मित्रो के सहयोग से एक दिन में कम से कम 50 किलो कूड़ा निकाला जा रहा है इस कूड़े का प्रत्येक दिन का अनुमान लगाया जाए तो एक वर्ष में दो सौ कुंटल कूड़ा निकाला जा चुका है इस कूड़े में घास, पूजा सामग्री, लकड़ी और प्लास्टिक आदि शामिल है।
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नैनीझील से कूड़ा निकलने के बाद झील की गहराई 27 मीटर से 24.6 मीटर हो गई है यह डाटा वैज्ञानिकों के सर्वेक्षण द्वारा प्राप्त किया गया है सुदूर संवेदी संस्थान के वैज्ञानिकों ने बैठोमैट्रिक की मदद से झील की गहराई तथा पानी की गुणवत्ता को मापा गया और 78 बिंदुओं पर गहराई मापी गई इन बिंदुओं में से 4 बिंदुओं की गहराई सबसे अधिक है और झील का सर्वाधिक हिस्सा 9 से 13 मीटर तक गहरा है।
डीएम सविन बंसल ने कहा है कि पहली बार देश में झील की सफाई के लिए संयुक्त राष्ट्र से फंड जारी किया गया है। जिला प्रशासन के प्रस्ताव से पानी की गुणवत्ता और ऑक्सीजन की मात्रा को जानने के लिए मॉनिटरिंग सिस्टम लगाया गया है