नई दिल्ली: हर किसी के सपने होते हैं। कई बार लोग कहते हैं कि मैं ये करना चाहता था लेकिन इन कारणों से नहीं कर पाया वरना मेरी जिंदगी कुछ और होती। कई लोग संसाधनों या अन्य कारणों का हवाला देकर अपने सपनों के साथ समझौता कर लेते हैं। हल्द्वानी लाइव की कोशिश है कि वह अपने पोस्ट से लोगों को प्रेरित करें ताकि अगर कोई सपना आपने देखा है तो आप उसे पूरा करने की तरफ जरूर कदम बढ़ाए। इसी क्रम में आज हम देवरानी जेठानी ऑफिसर बनने की कहानी बताएंगे।
उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की रहने वाली देवरानी-जेठानी ने ना सिर्फ मिलकर यूपीपीएससी एग्जाम की तैयारी की बल्कि उसे उत्तीर्ण भी किया। दोनों ने उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की साल 2018 की परीक्षा उत्तीर्ण की। जेठानी शालिनी श्रीवास्तव का चयन प्रिंसिपल के लिए हुआ तो देवरानी नमिता शरण का चयन पुलिस उपाधीक्षक की पोस्ट के लिए हुआ। सिकंदरपुर क्षेत्र के बनहरा में रहने वाले डॉ. ओम प्रकाश सिन्हा की बहुओं के बारे में पूरा क्षेत्र बात कर रहा है। उनकी कामयाबी की कहानी हर घर का हिस्सा बन गई है। फरवरी में उत्तर प्रदेश PCS 2018 के रिजल्ट की घोषणा हुई तो परिवार का खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
जेठानी शालिनी श्रीवास्तव की कहानी
शालिनी श्रीवास्तव का विवाह डॉ. सौरभ कुमार से साल 2011 में हुआ था। डॉ. सौरभ कुमार उदयपुर यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर हैं। शादी के वक्त शालिनी एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं। शादी के बाद भी उन्होंने पढ़ाई नहीं छोड़ी और साल 2018 PCS परीक्षा में कामयाबी हासिल की। मौजूदा वक्त में वह वाराणसी के रामनगर स्थित राधाकिशोरी राजकीय बालिका इंटर कॉलेज में सहायक अध्यापिका की पोस्ट पर कार्यरत हैं। अब उनका चयन प्रिंसिपल की पोस्ट पर हो गया है। कामयाबी के बाद शालिनी ने कहा कि उन्होंने यह परीक्षा दूसरी बार प्रयास करने पर पास की। वह पिछले 10 सालों से इसके लिए तैयारी कर रही थी। वह प्रिंसिपल बनने के बाद बेटियों के लिए कुछ कहना चाहती है। उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में आगे ले जाना ही शालिनी का लक्ष्य है। उनका कहना है कि अध्यापक्षकों को भी स्मार्ट बनाने की जरूरत है। समय-समय पर उन्हें ट्रेनिंग दी जानी चाहिए।
देवरानी नमिता शरण का संघर्ष
देवरानी नमिता शरण का विवाह साल 2014 में डॉ. सिन्हा के दूसरे बेटे शिशिर से हुआ। शिशिर गोरखपुर में बैंक में PO के पद पर कार्यरत हैं। नमिता भी गोरखपुर बैंक में PO की पोस्ट पर ही काम करती थीं। इसके बाद भी वह समाज के लिए कुछ करना चाहती थी तो उन्होंने तैयारी जारी रखी और आज उनका चयन पुलिस उपाधीक्षक की पोस्ट के लिए हुआ है। वह तीसरे प्रयास में सफल हुईं। इससे पहले वर्ष 2016 में उनका चयन बिहार में ज़िला प्रोबेशन अधिकारी की पोस्ट पर हुआ था। 6 महीने तक उनका प्रशिक्षण हाजीपुर में हुआ फिर उन्हें सीवान में पोस्टिंग मिली थी। इसी दौरान वर्ष 2017 में उनका सिलेक्शन ज़िला खाद्य विपणन अधिकरी की पोस्ट पर हो गया। लेकिन उन्होंने ज़िला प्रोबेशन अधिकारी की पोस्ट से रिजाइन कर दिया था। अपनी कामयाबी पर उनका कहना है कि वह महिलाओं की समस्याओं और समाज में जो कुरितियां उन पर वार करेगी। इसके अलावा वह पुलिस और जनता की दूरी को कम करने का प्रयास करेंगी ताकि जनता के मन से पुलिस का डर खत्म हो जाए।