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मिशन शक्ति से दुनिया में बढ़ी भारत की धाक, पीएम मोदी का देश को शानदार तोहफा


नई दिल्ली: बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी ने देश को महत्वपूर्ण संदेश दिया। उन्होंने कहा कि मिशन शक्ति की कामयाबी से अंतरिक्ष में भारत को बड़ी कामयाबी मिली है। हमारे स्पेस साइंटिस्ट ने अपनी मेधा का परिचय देकर दुनिया को बता दिया है कि वो किसी से कम नहीं है। उन्होंने कहा कि लो अर्थ ऑर्बिट में एक लाइव सैटेलाइट को A-SAT ने मार गिराया। इस तरह से भारत दुनिया के उन तीन देशों अमेरिका, चीन और रूस की की कतार में शामिल हो गया है जिनके पास इस तरह की क्षमता हासिल है।

मिशन शक्ति की कामयाबी पर मशहुर रक्षा विशेषज्ञ ब्रह्मा चेलानी का कहना है कि स्पेस वार सिर्फ हॉलीवुड का दिमागी उपज नहीं है बल्कि अमेरिका, चीन और रूस के पास पहले से ही एंटी सैटेलाइट वेपंस मौजूद हैं। स्पेस अब रणक्षेत्र के रूप में बदल रहा है। ऐसे हालात में स्पेस वार में कामयाबी हासिल करने के लिए इस तरह की क्षमता का होना जरूरी है। अगर समग्र तौर पर देखें तो मिशन शक्ति अभियान की कामयाबी भारत के लिए गर्व का विषय है।

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डीआरडीओ के पूर्व मुखिया और नीति आयोग के सदस्य डॉ वी के सारस्वत का कहना है कि अगर मौजूदा समय में स्पेस के संबंध में कोई प्रभावी क्षमता को हासिल करते हैं जो आपके दुश्मन देश के पास है तो इसका अर्थ ये है कि दुनिया के देश स्पेस को सैन्य क्षेत्र में तब्दील करने की फिराक में हैं। भारत ने मिशन शक्ति के जरिए ये साबित कर दिया है कि वो दुनिया के उन देशों में शामिल हो चुका है जिनके पास पहले ये एकाधिकार था।

पृथ्वी के केंद्र से 2000 किलोमीटर या 1200 मील की परिधि को लो अर्थ ऑर्बिट (Low Earth Orbit) कहते हैं। इस दायरे में मौसम और निगरानी करने वाले उपग्रह को स्थापित किया जाता है। जासूसी उपग्रहों को भी इसी ऑर्बिट में तैनात किया जाता है। इस ऑर्बिट में सैटेलाइट को स्थापित करने के लिए कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इस कक्षा में ज्यादा शक्ति वाले संचार प्रणाली को स्थापित किया जा सकता है। ये उपग्रह जिस गति से अपनी कक्षा में घूमते हैं उनका व्यवहार भू-स्थिर (जिओ-स्टैशनरी) की तरह ही होता है।

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