नई दिल्ली: राजधानी में प्रदूषण के बचाव के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारी सड़क पर उतर आए हैं। वह सड़कों में चल रहे वाहनों से निकलने वाले धुएं पर नजर बनाए हुए हैं। पिछले हफ्ते प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों ने उत्तराखण्ड परिवहन निगम की दो बसों का 1-1 लाख रुपए चालान किया था। चैकिंग को दौरान अधिकारियों को प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं मिला, जिसके बाद कार्रवाई की गई। इसी तरह बोर्ड ने कुल 67 बसों पर जुर्माना लगाया है। इस लिस्ट में उत्तराखण्ड के अलावा हिमाचल प्रदेश, पंजाब और उत्तर प्रदेश की बसें शामिल हैं।
उत्तराखण्ड की बसों में जुर्मानें के बाद निगम को लोगों की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है। विभाग नियम का उल्लंघन खुद करता है और जनता ट्रैफिक नियम के पालन हेतु कैंपेंन करता है। फिलहाल दोनों बसों से धुआं निकलने की वजह से एक-एक लाख रुपए के जुर्माना लगाए जाने के बाद विभागीय अधिकारी इसे गैरकानूनी बता रहे हैं। जुर्माना लगाए जाने के बाद प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने रुद्रपुर और ऋषिकेश के सहायक महाप्रबंधकों को स्पष्टीकरण तलब किया है। दूसरी ओर दोनों बस चालकों के पास प्रदूषण प्रमाणपत्र होने के बावजूद जुर्माना लगाए जाने को लेकर उप महाप्रबंधक की अगवाई में अधिकारियों की टीम दिल्ली भेजी गई थी।
नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान ने सभी सहायक महाप्रबंधकों को निर्देशित कर दिया था कि यदि नियम के उल्लंघन के होने पर निगम की बस की कार्रवाई होती है तो संबंधिक यक महाप्रबंधक सीधे तौर पर जिम्मेदार होंगे।
वहीं उत्तराखण्ड की बस पर लगे जुर्मानें पर जानकारी सामने आ रही है कि दोनों बसों के प्रदूषण प्रमाण पत्र तलब किए गए। ऋषिकेश डिपो की बस का प्रमाण पत्र वैध था जबकि रुद्रपुर डिपो के प्रमाण पत्र को तीन माह से ज्यादा का समय हो गया था, जो दिल्ली एनसीआर में मान्य नहीं है।
बताया कि दिल्ली एनसीआर में बीएस-3 इंजन की बसों की प्रदूषण जांच तीन माह में करवानी जरूरी है। इस मामले में रुद्रपुर डिपो के एआरएम का स्पष्टीकरण मांगा गया है। प्रबंध निदेशक रणवीर सिंह चौहान सभी डिपो के एआरएम को आदेश दिए गए कि दिल्ली जाने वाली बसों की प्रदूषण जांच तीन-तीन माह में करवाएं।