नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि अयोध्या जमीन विवाद की अगली सुनवाई जनवरी 2019 में एक उचित पीठ के समक्ष होगी। हालांकि, अदालत ने सुनवाई के लिए कोई विशेष तारीख निर्धारित करने से इनकार किया।प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति रंजन गोगोई की अगुवाई वाली पीठ ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 2010 में अयोध्या की विवादित जमीन के तीन भाग करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं के समूह पर सुनवाई अगले साल करने का निर्देश दिया।
इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2010 के अपने फैसले में विवादित स्थल को तीन भागों रामलला, निर्मोही अखाड़ा व मुस्लिम वादियों में बांटा था। प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति गोगोई के अलावा न्यायमूर्ति संजय किशन कौल व न्यायमूर्ति के.एम.जोसेफ भी सुनवाई करने वाली पीठ में शामिल थे।
शीर्ष अदालत ने 27 सितम्बर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अगुवाई में न्यायमूर्ति अशोक भूषण व न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर के साथ 2 : 1 के बहुमत से 1994 में दिए गए उच्च न्यायालय के एक फैसले को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और मामले की सुनवाई 29 अक्टूबर से तीन न्यायाधीशों की खंडपीठ द्वारा सुने जाने का निर्देश दिया था।
नवगठित पीठ द्वारा सोमवार को दोनों पक्षों, हिंदू व मुस्लिम हितधारकों द्वारा दाखिल याचिकाओं के समूह पर सुनवाई किए जाने की उम्मीद थी। इन याचिकाओं में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है।