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काठगोदाम से चंडीगढ़ गई रोडवेज बस की हुई चैकिंग, एक साथ हो गए 7 चालान


देहरादून: उत्तराखंड रोडवेज हर वक्त सुर्खियों में रहता है। कभी कर्मचारियों के वेतन को लेकर, कभी फास्टैग रिचार्ज को लेकर, कभी प्रदूषण प्रमाण पत्र और या फिर टिकट में धांधली। आप बोल सकते हैं कि विभाग लापरवाही का प्रमाण देने के लिए नए-नए रास्ते खोजता है। एक नया मामला काठगोदाम डिपो की बस से जुड़ा है जो चंडीगढ़ गई थी। वहां चैकिंग के दौरान बस का एक नहीं बल्कि 7 चालान कटे और जुर्माने की राशि 25000 रुपए है।

जानकारी के अनुसार चड़ीगढ़ में परिवहन विभाग की टीम ने काठगोदाम से निकली बस को रोका। बस चालक ने ड्राइवर वर्दी नहीं पहनी थी। चैकिंग के दौरान अन्य कागज मांगे गए तो ड्राइवर के पास न तो डीएल था और न ही बस के कागजात थे। चैकिंग टीम ने 25000 रुपए का चालान ड्राइवर को थमा दिया।

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परिवहन विभाग की टीम ने वर्दी नहीं पहनने पर 500, नेम प्लेट मामले में 500, डीएल मामले में 5000, परमिट मामले में 10 हजार, प्रदूषण प्रमाण पत्र मामले में 2000, बीमा मामले में 2000 और रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट नहीं होने पर 5000 रुपये का चालान काटा है। यह चालान रोडवेज मुख्यालय पहुंचने के बाद अफसरों में हड़कंप मच गया। कोरोना संकट शुरू होने के बाद रोडवेज ने कर्मचारियों के भत्ते और कुछ सुविधाएं बंद कर दी थीं। इसमें ड्राइवर और कंडक्टरों को वर्दी भत्ता भी शामिल था। अब चालान होने के बाद विभाग को भत्ते की याद आई है।

रोडवेज प्रबंधन ने एक अगस्त से ड्राइवर और कंडक्टरों के लिए वर्दी अनिवार्य कर दी है। वर्दी नहीं पहनने वाले ड्राइवर-कंडक्टरों पर 250 रुपये जुर्माना लगाया जाएगा। वर्दी खरीदने के लिए सभी ड्राइवर-कंडक्टरों को इस महीने वेतन में तीन हजार रुपये दिए जाएंगे। भत्ता सिर्फ उन्हीं ड्राइवर-कंडक्टरों को मिलेगा, जो बसों में ड्यूटी कर रहे हैं। अक्षम और कार्यालयों में काम करने वाले ड्राइवर-कंडक्टरों को भत्ता नहीं दिया जाएगा। वहीं 25 हजार रुपए के चालान के लिए विभाग ने केवल चालक को जिम्मेदार ठहराया है और सभी 7 जुर्मानें चालक द्वारा ही भरने की बात कही है।

उत्तरांचल रोडवेज कर्मचारी यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष कमल प्पनै ने कहा कि ये फैसला हैरानी भरा भी है। जब रोडवेज की बसों को फास्टैग में रिचार्ज नहीं होने की वजह से दोगुना टोल जमा करना पड़ता है तब अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं होती है लेकिन यहां केवल चालक पर कार्रवाई हो रही है। फास्टैक रिचार्ज की मॉनेटेरिंग के लिए नियुक्ति की गई है और इसके बाद भी कई बार रोडवेज ने दोगुना टोल भरा है हालांकि विभाग बार-बार इसे सर्वर की दिक्कत कहता है और रुपए पेटीएम द्वारा वसूले जाने की बात कहकर अपनी लापरवाही से पल्ला झाल लेता है।

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