देहरादून: सरकारी विभाग ऐसी ही जनता की आलोचना के शिकार नहीं बनते हैं। उनकी लापरवाह कार्यशैली लोगों को उनके विरोध में खड़ा करती है, जो उनके काम से संतुष्ट नहीं रहते हैं। भले ही सरकार विभागों के सुधार के लिए कितने कदम उठा ले लेकिन हालात वहीं पर है। डाक विभाग की एक ऐसी लापरवाही सामने आ रही है जिसने एक परिवार को परेशान कर रखा है। विभाग की लापरवाही के कारण एक बेटा अपने पिता की अस्थियों के लिए चक्कर लगा रहा है। डाक विभाग से ऋषिकेश निवासी शैलेंद्र के पिता की अस्थियां गुम हो गई हैं।
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दरअसल शैलेंद्र नेगी के पिता गंभीर सिंह नेगी जर्मनी के होटल में नौकरी करते थे। पिछले साल 9 जुलाई 2017 को उनका निधन हो गया था। जर्मनी में मौजूद उत्तराखण्ड के लोगों ने गंभीर सिंह नेगी का अंतिम संस्कार किया। शैलेंद्र अपने पिता की अस्थियों को भारत मंगवाना चाहता था, इसके लिए उसने जर्मनी स्थित दूतावास से संपर्क किया। दूतावास से शैलेंद्र के पिता की अस्थियां डाक के माध्यम से ऋषिकेश के इंदिरानगर स्थित घर के पते पर भेजने की बात कही गई।
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इसके लिए उन्हें डाक विभाग की ट्रैकिंग आईडी भी दी गई, लेकिन एक साल से उसे अपने पिता की अस्थियों वाला पार्सल नहीं मिला। परेशान शैलेंद्र ने जब डाक विभाग में इस संबंध में बात की उन्होंने पते पर कोई ना मिलने की बात बोलकर अपना पल्ला झाड़ लिया और पार्सल वापस भेज देने की बात कही। इस पर जब डाक वापसी की ट्रैकिंग आईडी मांगी गई तो पता दिल्ली का निकला।
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शैलेंद्र ने डाक विभाग पर लापरवाही का आरोप लगाया है कि उनके कारण वह अपने पिता की अस्थियों का विसर्जन नहीं करा सका है। उन्होंने कहा कि राजपुर रोड स्थित डाक विभाग के कार्यालय में भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। वहीं डाक विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मामले में उनके स्तर से जांच की जा रही है।शैलेंद्र करीब एक साल से अस्थियों का पार्सल लेने के लिए भटक रहा है, लेकिन डाक विभाग से कोई माकूल जवाब नहीं मिल रहा है।