देहरादून: नियमों का पालन करवाने के लिए तमाम चैकिंग उत्तराखंड की सड़कों पर होती है लेकिन पिछले चार साल से एक निजी बस राज्य को चूना लगा रही थी। सरकार को चपत लग रही थी और चैकिंग भगवान भरोसे थी, वरना कोई चार साल तक बिना टैक्स और परमिट के गाड़ी तो नहीं चला पाता। यहां पर बस संचालक ने चोरी की है तो वहीं परिवहन विभाग के अधिकारियों की कार्यशैली भी सवालों के घेरे में आ गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व परिवहन मंत्री चंदन रामदास समेत सचिव परिवहन के सख्त आदेश के बावजूद डग्गामार बसे नियमों को ताक पर रखकर घूम रही हैं। ताजा मामला देहरादून से सामने आया है। एक बस वर्ष 2018 से बिना टैक्स व परमिट के देहरादून से नई दिल्ली या दूसरे शहरों के लिए दौड़ रही थी। अरुणाचल प्रदेश की बस को परिवहन मुख्यालय की टीम ने पकड़ा और उसे सील कर दिया गया है।
मनमानी को रोकने के लिए संयुक्त परिवहन आयुक्त एसके सिंह ने परिवहन मुख्यालय के एआरटीओ (प्रवर्तन) आनंद जायसवाल को बसों की जांच के आदेश दिए।
इसी क्रम में टीम ने हरिद्वार राजमार्ग पर चेकिंग के दौरान एक एसी स्लीपर कोच बस को रोका। अरुणाचल प्रदेश के नंबर (एआर-01जे-4519) की बस दिल्ली जा रही थी और 15 यात्री सवार थे। चालक से परमिट व अन्य दस्तावेज आगे गए तो वह कुछ नहीं दे पाया। ऑनलाइन चैकिंग के बाद पता चला कि बस वर्ष-2017 मॉडल की है और यह बस वर्ष 2018 से उत्तराखंड में दौड़ रही है। चौकानी वाली बात ये है कि बस आरटीओ दफ्तर में पंजीकृत नहीं कराई गई। इसके बाद एआरटीओ ने बस को सीज कर दिया। इस चैकिंग के बाद निजी बस संचालकों में हड़कंप मच गया है। देखना होगा कि इस कार्रवाई के बाद से कितनी जगह और चोरी का खेल सामने आता है।