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उत्तराखंड: महिलाएं परिवार संग स्टार्टअप भी चला सकती हैं, ग्राम प्रधान प्रियंका पांडे की कहानी


पिथौरागढ़: बहाने बनाना आसान होता है लेकिन मुश्किल होता है एक काम को, एक संकल्प को निभाना और निरंतर तौर पर उस संकल्प की ओर प्रयासरत रहना। उत्तराखंड के भिन्न भिन्न पहाड़ी क्षेत्रों में, पलायन एक ऐसा मुद्दा है जो कि स्पष्ट रुप से उभर कर सामने आया है। पहाड़ी इलाकों में रह रहे लोगों का कहना है कि यहां अच्छी सुविधाओं व कमाई करने के पर्याप्त साधनों की काफ़ी कमी है। यही एक मुख्य वजह है कि बड़ी मात्रा में पहाड़ निवासी, काम धंधे की तलाश में शहरों की ओर पलायन कर जाते हैं। लेकिन क्या वाकई में ऐेसा है कि पहाड़ों में कमाई करने के संसाधन मौजूद नहीं हैं। क्या हक़ीकत में पहाड़ वासियों के लिये पलायन एकमात्र उपाय शेष रह गया है।

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मुमकिन है कि आप भी ऐसा ही सोचते हों…. मगर कुछ लोग हैं जो कि पहाड़ से पलायन ना करते हुये भी बहुत बेहतरीन कार्यों को अंजाम दे रहे हैं, कुछ लोग हैं जो कि पहाड़ों में बसे रह कर भी, अपने अपने क्षेत्रों का नाम ऊंचा करने की कोशिश में हैं। ऐसा ही एक नाम है प्रियंका पांडे जी का। पिथौरागढ़, ग्राम कांटे की रहने वाली, प्रियंका पांडे एक बेहद प्रगतिशील किसान हैं। प्रियंका पांडे ने अपने संघर्षशील इरादों और नई सोच को इकठ्ठा कर, खेती के क्षेत्र में नए मुकाम हासिल किये हैं। अपने परिवार के साथ मिल कर प्रियंका पांडे ने मशरूम की खेती को एक अलग ज़मीन और एक अलग उड़ान दी है। मशरूम की खेती के साथ साथ ही अन्य सब्ज़ियों की खेती पर भी प्रियंका और उनके परिवार का खास ध्यान रहा है। मछली पालन भी एक कार्य है जिसको वे, पिछले काफ़ी समय से खेती के साथ साथ ही संभाल रही हैं।

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किसानी क्षेत्र में मिली सफलता के बाद अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग ने प्रियंका पांडे के कार्यों को देखा और सराहा है। अखिल भारतीय किसान मेला एवं कृषि उद्योग प्रदर्शनी के उद्घाटन समारोह में प्रियंका पांडे समेत विभिन्न जिलों के नौ प्रगतिशील किसानों को सम्मानित किया। खेती के क्षेत्र में अभिनव प्रयोग करने और बेहतर कार्य करने वाले किसानों को प्रतीक चिन्ह एवं प्रमाण पत्र दे कर सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि के तौर पर मौजूद रहीं रेखा भंडारी एवं कुलपति डाॅ तेजप्रताप ने प्रियंका पांडे के कार्यों को खूब सराहा।

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प्रियंका पांडे ग्राम कांटे की प्रधान भी हैं। वो गांव के साथ अपना परिवार भी चला रही हैं और अपने गांववासियों को स्वारोजगार के लिए प्रेरित भी कर रही है। कोरोना काल में भी उन्होंने गांव में सुरक्षा हेतु जागरूकता अभियान चलाया था। प्रियंका ने अपनी कामयाबी का श्रेय पति दीपक पांडे को दिया। उन्होंने कहा कि गांव की जिम्मेदारी और परिवार और फिर स्वरोजगार से जुड़े कार्य… परिवार के सहयोग के बिना यह कर पाना मुमकिन नहीं है।

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