नैनीताल: नैनीताल शहर हमेशा से ही विश्व पटल पर उत्तराखंड की खूबसूरत तस्वीर का मुख्य केंद्र रहा है। वहीं नैनीताल की इतनी सुंदर तस्वीर का मुख्य बिंदु रही है सरोवर नगरी की नैनी झील। नैनी झील की अस्मिता को बनाए रखने हेतु जिलाधिकारी सविन बंसल ने बीते कुछ समय में काफी सराहनीय प्रयास किये हैं। जिलाधिकारी द्वारा हो रही निरंतर कोशिशों का अहम केंद्र है नैनीझील की संरचना, पानी की गुणवत्ता, अन्तर्जलीय संरचनाओं का परीक्षण अथवा झील का पर्यावरण।
डीएम सविन बंसल के ठोस कदमों का फल गुजरे गर्मी के मौसम में भी देखने को मिला। बीते गर्मी के दिनों में भी इस बार झील पानी से लबालब रही। नैनीझील का अंदरूनी ढांचा एवं जल की गुणवत्ता का विश्लेषण किये जाने के लिए जिलाधिकारी ने अहम कदम उठाए हैं। नैनीताल के डीएम द्वारा इसरो देहरादून को पिछले साल जुलाई में पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया एवं लगातार संपर्क में रह कर, इसरो के साथ मिल कर पहली बार नैनीझील के अंदर खोजबीन का कार्य कराया गया।
अन्वेषण कार्य करने के उपरांत जो आंकड़े एवं सूचनाएं इसरो को प्राप्त हुए थे, उसको सम्मिलित कर नैनीताल स्थित जीआइएस लैब में गहन विश्लेषण हेतु भेजा गया था। लैब में नैनीझील की सम्पूर्ण सतत् तलीय भौतिक संरचना (कन्टीन्यूएश लेक बैड मैपिंग) एवं जल गुणवत्ता (टोटल डिजाल्व सोलिड एण्ड डिजाल्व आक्सीजन मैपिंग) को मापा गया। जो परिणाम प्राप्त हुए, उसी से नैनीझील के स्वास्थ्य का बेहतर ढंग से आंकलन किया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने इसी साल 27 फरवरी को लैब में पाए गए समस्त नतीजों का लोकापर्ण किया गया। मुख्यमंत्री ने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए जिलाधिकारी बंसल को शाबासी दी तथा उनके प्रयासों की सराहना की। जिला प्रशासन ने नैनीझील संबंधित प्राप्त सभी आंकड़ों व सूचनाओं की एक पुख़्ता रिपोर्ट यूएनडीपी को प्रस्तुत कर समय समय पर जांच किये जाने हेतु प्रोटिएस सेन्सर से परियोजना का वित्तीय पोषण अथवा क्रियान्वयन का आग्रह किया गया। यूनएनडीपी नई दिल्ली द्वारा लगभग 100 लाख की आर्टिफिशियल इंटैलिजैंस आधारित लेक मानिटरिंग सिस्टम फाॅर नैनी लेक नैनीताल योजना की स्वीकृति प्रदान करते हुये सेंसर एवं डिस्प्ले स्क्रीन लगाये जाने का कार्य किया जा रहा है।
इन महत्वपूर्ण कदमों के अंतर्गत पानी की गुणवत्ता मापने हेतु मल्लीताल पम्प हाउस और तल्लीताल एरियेटर प्लांट में एक एक प्रोटिएस सेन्सर स्थापित किये जा रहे हैं। झील के पानी की गुणवत्ता से जुड़े समस्त आंकड़ों को जागरुकता हेतु तल्लीताल डांठ पर महात्मा गांधी की मूर्ति के ठीक पीछे एलईडी स्क्रीन द्वारा जनता में प्रसारित किया जाएगा। एसएमएस अथवा एैप द्वारा भी आम जनमानस तक आंकड़ों को पहुंचाया जाएगा। प्रशासन का मानना है कि ऐसा करने से झील को ले कर आम तथा पर्यटक जनों में जागरूकता भी बढे़गी साथ ही साथ नैनीझील को स्वच्छ बनाए रखने के लिए नगर पालिका, सिंचाई, लोनिवि, जलसंस्थान आदि पर सामुदायिक दबाव बनेगा।
जल गुणवत्ता के आंकड़ों के साथ साथ चेतावनी भी एसएमएस तथा मोबाइल एैप द्वारा लोगों को प्रसारित की जायेगी। बायो कैमिकल आक्सीजन डिमांड (बीओडी), कैमिकल आक्सीजन डिमांड (सीओडी), टोटल आर्गेनिक कार्बन (टीओसी), डिज़ाल्व आर्गेनिक कार्बन (डीओसी), डिजाल्व आक्सीजन, प्रेशर, क्लोराइड, पीएच, टैम्परेचर, ऑप्टीकल ब्राइटनैस, नाइट्रेट, टरबीटीटी, क्रूड ऑयल (सीडीओएम) आदि तत्वों के परिणामों का पता इन्हीं सेंसर्स की मदद से चलेगा। प्रशासन का मानना है कि इन सभी कार्यों के बाद झील के अंतरजीवों और पर्यावरण का संरक्षण करना आसान हो जाएगा।
बहुत जल्द ही मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत नैनीताल पहुंच कर इस महत्वपूर्ण परियोजना का लोकार्पण करेंगे। डीएम सविन बंसल द्वारा उपजिलाधिकारी विनोद कुमार को निर्देश देने के उपरांत विनोद कुमार ने यूएनडीपी की आर्टिफशियल इटैलिजैंस आधारित रियल टाइम लेक मानिटरिंग प्रणाली द्वारा नैनीझील मे किये जा रहे समस्त कार्यों का निरीक्षण किया। अधिशासी अभियन्ता ग्रामीण निर्माण विभाग विनीत कुरील,अधिशासी अभियन्ता सिंचाई हरीश सिंह, अधिशासी अधिकारी नगर पालिका अशोक वर्मा, जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी शैलेश कुमार, तकनीकी संस्थान बसार लैब के ताकर तथा धर्मेन्द भी पूरे निरीक्षण के दौरान साथ ही मौजूद रहे।