हल्द्वानी: पंकज पांडे: क्रिकेट का खेल केवल गेंद और बल्ले का नहीं है, बल्कि मानसिकता से भी जुड़ा है। भारतीय क्रिकेट में जब भी मानसिकता का जिक्र होता है तो विराट कोहली और पूर्व क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जैसे महान खिलाड़ियों की बात होती है। साल 1999 विश्वकप के दौरान सचिन तेंदुलकर के पिता का निधन हो गया था। सचिन तेंदुलकर ने विश्वकप के बीच भारत आने का फैसला किया और फिर वो दोबारा टीम के साथ इंग्लैंड में जुड़ गए।
विराट कोहली के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। विराट कोहली के पिता का निधन तब हुआ जब वो दिल्ली के लिए रणजी ट्रॉफी का मैच खेल रहे थे। उन्हें इस बारे में सूचना मिली तो वो दिन का खेल खत्म होने के बाद घर गए। इसके बाद दूसरे दिन उन्होंने बल्लेबाजी की और अपनी टीम को हरा से बचाया। इस तरह के चीजे ही खिलाड़ी को महान बनाती हैं।
भारतीय पुरुष खिलाड़ियों के बारे में तो हर जगह देखा और पढ़ा जाता है लेकिन महिला खिलाड़ियों का करियर केवल क्रिकेट के मैदान के अंदर ही रह जाता है। महिलाएं भी इस तरह की मानसिकता रखती हैं। आज हम आपके बीच एक पूर्व भारतीय कप्तान की स्टोरी लेकर आए हैं। इस महिला क्रिकेटर ने जो किया वो शायद ही कोई कर सकता था। हम बात कर रहे हैं टीम इंडिया की पूर्व कप्तान पूर्णिमा राव की… जिन्होंने अपने पति के निधन के 6 दिन बाद क्रिकेट के मैदान पर वापसी की थी।
कौन हैं पूर्णिमा राव
पूर्णिमा राव भारत की पूर्व कप्तान हैं। वह भारतीय महिला टीम की हेड कोच भी रही हैं। उनका करियर तब शुरू हुआ था तब भारतीय महिला क्रिकेट की देखभाल बीसीसीआई नहीं बल्कि स्पॉन्सर किया करते थे। आंध्र प्रदेश से अपने क्रिकेट करियर शुरू करने वाली पूर्णिमा राव ने भारत के वनडे में 1993 ( वेस्टइंडीज के खिलाफ) डेब्यू किया तो वही टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ साल 1995 में डेब्यू किया। पूर्णिमा राव को भारतीय महिला टीम का पहला स्टार खिलाड़ी कहा जाता है। 90 के दशक में वो आक्रमक क्रिकेट खेला करती थीं।
कप्तान पूर्णिमा राव
SUPRITA DAS द्वारा महिला क्रिकेट पर लिखी गई किताब ‘ FREE HIT ‘ में भी इसका वर्णन है। किताब कुछ ऐसी बाते और रिकॉर्ड का जिक्र किया गया है जो शायद किसी क्रिकेट डायरी में ना हो। पूर्णिमा राउ ने साल 1993 में डेब्यू किया और शानदार प्रदर्शन के बदौलत उन्हें 1994 में भारतीय टीम का कप्तान भी बना दिया गया। उनकी कप्तानी में भारत ने इंग्लैंड को घरेलू सीरीज में हराया। इसके बाद न्यूजीलैंड में आयोजित Women’s Centenary Tournament में भी भारत विजेता रहा था। इस टूर्नामेंट में भारत, न्यूजीलैंड के अलावा ऑस्ट्रेलिया ने भी प्रतिभाग किया था। पूर्णिमा राव की कप्तानी में भारतीय टीम ने विदेश में पहली वनड़े सीरीज़ भी जीती। भारतीय टीम ने न्यूजीलैंड को उसी के घर पर हराया और इतिहास रचा।
पति का निधन और पूर्णिमा की वापसी
पूर्णिमा राव और भारतीय क्रिकेट के लिए सब कुछ अच्छा चल रहा था लेकिन 1995 में पूर्णिमा राउ के पति नर सिंह का निधन हो गया। उनके पति भारतीय सेना का हिस्सा थे। शादी के दो साल बाद पूर्णिमा ने अपने पति को खो दिया था। इसके बाद लगा कि उनका करियर खत्म हो जाएगा लेकिन परिवार के सहयोग की बदौलत पूर्णिमा 6 दिन बाद मैदान पर वापस लौट आई। हालांकि इंग्लैंड के खिलाफ सीरीज़ से पहले उन्हें कप्तानी से हटा दिया गया। पूर्णिमा की मानसिकता ने एक बार फिर सभी को हैरान कर दिया। इंग्लैंड के खिलाफ खेली गई सीरीज़ में वो प्लेयर ऑफ द सीरीज़ बनीं। इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें इंग्लैंड घूमने का मौका मिला था लेकिन उन्होंने छुट्टियों पर घूमने के बजाए खेलने का फैसला किया और काउंटी क्रिकेट से जुड़ गई।
पूर्णिमा राव का करियर
भारत के लिए पूर्णिमा राव ने पांच टेस्ट मैच खेले। जिसमें उन्होंने 123 रन बनाए और 15 विकेट हासिल किए। वहीं उन्होंने 33 वनडे मुकाबले खेले, जिसमें उन्होंने 516 रन बनाने के अलावा 50 विकेट भी अपने नाम किए। भारत के अलावा पूर्णिमा राउ ने एयर इंडिया का भी प्रतिनिधित्व किया। साल 2000 में उन्होंने भारत के लिए आखिरी वनडे खेला था। पूर्णिमा भारतीय टीम की कोचिंग के अलावा सिक्किम की भी कोच रह चुकी हैं।