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उत्तराखंड क्रिकेट कैसे सुधरेगा, टैलेंट देवभूमि का खोजना है पर टूर्नामेंट में बाहरी खेलेंगे


Uttarakhand News: Cricket: विभिन्न राज्यों में क्रिकेट लीग का आयोजन हो रहा है। टी-20 लीग का आयोजन स्थानीय युवाओं को आगे बढ़ने का मौका देने के लिए हो रहा है। क्रिकेटर और फैंस दोनों ही नए रोमांच के लिए उत्साहित है। उत्तराखंड में भी क्रिकेट लीग शुरू होने वाली है। बात उत्तराखंड क्रिकेट की हो और चर्चाएं ना हो… ये संभव नहीं है।

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड वसीम जाफर और 35 लाख रुपए केलो को लेकर सुर्खियों में रहा है। वहीं हर वर्ष दूसरे राज्यों के खिलाड़ियों को गेस्ट व प्रो खिलाड़ियों के रूप में खिलाया जाता है, तब भी मामला गर्म रहता है। वैसे नई टीम होने के चलते अनुभवी खिलाड़ियों के टीम में शामिल होने की बात पच सकती है लेकिन किसी घरेलू टूर्नामेंट में राज्य के युवाओं को नजरअंदाज कर बाहरी खिलाड़ियों को मौका देना थोड़ा चौंका देता है।

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पिछले साल सीएयू ने सुर्खियां बटोरी थी वो भी एक नियम को लेकर, अगर किसी खिलाड़ी के पास डोमोसाइल नहीं होगा तो उसे खेलने की अनुमति नहीं मिलेगी लेकिन उत्तराखंड प्रीमियर में कइयों की एंट्री हो गई है जिन्होंने राज्य में क्रिकेट नहीं खेली और ये नियम वाहवाही समेटने तक ही रह गया।

देहरादून में 15 सितंबर से प्रस्तावित उत्तराखंड प्रीमियर लीग(यूपीएल) की शुरुआत होगी। सभी टीमों का चयन हो गया है। टीम में कुछ नाम ऐसे हैं जिनके बारे में किसी ने नहीं सुना.. उन्हें वाइल्ड कार्ड एंट्री के रूप में भी देखा जा रहा है। एक क्रिकेटर के अभिभावक ने नाम ना बताने की शर्त में कुछ जानकारी दी। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में क्रिकेट यहां के बच्चों के लिए नहीं बल्कि बाहर के बच्चों के लिए रह गई है। पहले यहां एसोशिएशन नहीं थी तब खिलाड़ी परेशान थे और अब है… तो अपने सामने गलत होता देख खिलाड़ी ज्यादा परेशान है। पिछले साल टी-20 लीग में शानदार प्रदर्शन करने वाले और उत्तराखंड क्रिकेट टीम को कई खिलाड़ियों को मौका नहीं मिला है, जो चौंकाता है।

ये लीग उत्तराखंड के युवाओं के लिए है और पहला हक यही के युवाओं का होना चाहिए। इस तरह का माहौल युवाओं को मानसिक रूप से भी परेशान करता है। जिसको कही मौका नहीं मिलता है वो उत्तराखंड आता है और खेल लेता है। उत्तराखंड प्रीमियर लीग में शामिल कुछ खिलाड़ी संदेह के घेरे में हैं, जिनका नाम कभी नहीं सुना वो खेल रहे हैं। वहीं सवाल करने पर जवाब ये है कि सब फ्रेंचाइजी पर निर्भर है।

वैसे जब क्रिकेट उत्तराखंड में आई थी तो बात बड़ी बड़ी हुई थी। यहां राज्य के खिलाड़ियों से ज्यादा बाहर के खिलाड़ियों के लिए विंडो ओपन है। पहाड़ में क्रिकेट अभी तक शुरू नहीं हुई है, हां बातें होती है कि पहाड़ में स्टेडियम का निर्माण होगा। ये पहला मौका नहीं है कि सीएयू और उत्तराखंड क्रिकेट पर सवाल उठे हैं। सीएयू के पदाधिकारी भी सवाल उठा चुके हैं लेकिन कोई ठोस कदम लिया नहीं गया।

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