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ग्रामीण उद्यमिता से ही बदलेगी उत्तराखंड के विकास की तस्वीर


Uttarakhand: Migration: Entrepreneurship: भारत की आत्मा, उसके गाँवों में बसती है। ये वही गाँव हैं, जिन्होंने हमारी सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं और सामुदायिक जीवन की नींव रखी है। लेकिन आज, जब शहरीकरण की तेज़ रफ़्तार और रोज़गार की तलाश में ग्रामीणों का पलायन बढ़ रहा है, तो हिमालय की गोद में बसे दूरस्थ गाँवों की समृद्धि और आत्मनिर्भरता खतरे में पड़ गई है। ऐसे में, ग्रामीण उद्यमिता केवल एक आर्थिक गतिविधि नहीं, बल्कि एक सामाजिक क्रांति का रूप ले सकती है, जो खाली और उजड़ चुके गाँवों को पुनर्जीवित करने और देश की समग्र विकास यात्रा को गति देने का एक शक्तिशाली माध्यम बन सकती है।

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विशेष रूप से उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में, यह और भी महत्वपूर्ण हो जाता है। पहाड़ी क्षेत्रों, विशेषकर उत्तराखंड में पलायन एक बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है। गांव के गांव भूतहा हो चुके हैं, जहां कभी चहल पहल और रौनक हुआ करती थी, वहां अब सन्नाटा पसरा पड़ा है। लोग अपने घर, ज़मीने छोड़ छाड़ कर अपनी यादों को अलविदा कह कर मैदानी क्षेत्रों में जा बसे हैं।

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उत्तराखंड ग्राम्य विकास एवं निवारण पलायन आयोग के 2018-22 तक की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में 24 और गांव पूरी तरह से निर्जन हो गए हैं, जिससे अब कुल निर्जन गांवों की संख्या 1,792 हो गई है. वर्ष 2011 की जनगणना में राज्य में 1,034 खाली गांव थे, जबकि 2018 तक इस सूची में 734 और गांव जुड़े। 2022 में 24 और गांवों के खाली हो जाने से यह संख्या 1,792 तक पहुंच गई है.  गांवों से पलायन का असर असर खेती पर भी पड़ रहा है. सरकार भी मानती है कि 2001 से अब तक 70 हजार हेक्टेयर कृषि भूमि बंजर में तब्दील हो गई है. हालांकि, गैर सरकारी आंकड़ों पर गौर करें तो बंजर कृषि भूमि का रकबा एक लाख हेक्टेयर से अधिक हो सकता है. ये विषय जितना चिंताजनक है उतना ही भयावह भी।

हालांकि सिक्के का दूसरा पहलू ज्यादा महत्वपूर्ण है वो है ग्रामीण उद्मिता- ये वो ताकत है जो इन आकंडों को रिवर्स करने का दम रखती है। लेकिन फिलहाल पहली लक्ष्य ये होना चाहिए जो गांव में रह रहे हैं उनको उद्यमी बनाए जाए, उनकी आजीविका में इजाफा किया जाए, उन्हें इतना सशक्त बनाया जाए ताकि उनके मन में अपनी मिट्टी को छोड़ने का विचार ना पनपे और उसके लिए ज़रुरी है ग्रामीण उद्यमिता के मिशन को तेज़ी से गांव में फैलाना।

ग्रामीण उद्यमिता का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह हमारी परंपराओं और संस्कृति को संरक्षित रखते हुए नवाचार को बढ़ावा देती है। चाहे वह हथकरघा, हस्तशिल्प, जैविक खेती, या स्थानीय कलाएं हों, ग्रामीण उद्यमिता इन्हें न केवल जीवित रखती है, बल्कि उन्हें वैश्विक बाजार तक पहुँचाने का माध्यम भी बनाती है। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति मिलती है और स्थानीय कलाकारों और कारीगरों को उनके श्रम का उचित मूल्य मिलता है।

ऐसे में, व्यापक परिदृश्य में देखा जाए तो ग्रामीण उद्यमिता का महत्व केवल आर्थिक लाभ तक सीमित नहीं है। यह गाँवों को आत्मनिर्भर बनाने, स्थानीय संसाधनों का सदुपयोग करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का एक सशक्त तरीका है। यह यह हमारे गाँवों को आत्मनिर्भर बनाकर उन्हें विकास की मुख्यधारा में शामिल कर सकती है।

ग्रामीण उद्यमिता से कैसे होता है बदलाव?

ग्रामीण उद्यमिता का मतलब गाँवों में ऐसे छोटे-मोटे व्यवसाय शुरू करना है, जो वहाँ के लोगों की ज़रूरतों और उपलब्ध संसाधनों पर आधारित हों। इसमें खेती, पशुपालन, हस्तशिल्प, कुटीर उद्योग, जैविक उत्पाद, पर्यटन और अन्य कई चीजें शामिल हो सकती हैं। यह सिर्फ कमाई का जरिया नहीं बल्कि गाँवों के विकास की दिशा में एक मजबूत कदम होता है। शहरों में स्टार्टअप और बड़ी कंपनियों पर ज़्यादा ध्यान दिया जाता है, लेकिन गाँवों में भी बहुत संभावनाएँ होती हैं। यहाँ की उद्यमिता का फ़ायदा यह है कि लोग अपने घर के पास रहकर ही आत्मनिर्भर बन सकते हैं और गाँवों का विकास भी हो सकता है। और वैसे भी उत्तराखंड को जो प्राकृतिक धरोहर मिली है और जो पांरपरिक हुनर का जौहर यहां के लोगों में रचा बसा है उसे एक बार उजागर करने की देरी भर है। ये हुनर जब अपने पंख फैलाएगा तो पहाड़ी क्षेत्रों के गावों की तकदीर को आसानी से बदला जा सकता है।

उत्तराखंड में ग्रामीण उद्यमिता की ज़रुरत क्यों?

पलायन के कारण शहरों में जनसंख्या का दबाव बढ़ रहा है, जिससे कई समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। शहरीकरण पर नियंत्रण रखने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उद्यमिता को बढ़ावा देना आवश्यक है। उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए, जहां सीमित शहरी क्षेत्र हैं, यह और भी महत्वपूर्ण है। यदि गांवों में उद्यमिता को बढ़ावा मिले, तो गांवों और शहरों के बीच संतुलन बना रहेगा। ग्रामीण स्तर पर व्यवसायों के बढ़ने से स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। गांवों में धन का प्रवाह बना रहेगा, जिससे लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरेगी।

उत्तराखंड जैसे राज्य के लिए, जहां अर्थव्यवस्था पर्यटन और कृषि पर निर्भर है, ग्रामीण उद्यमिता अर्थव्यवस्था को विविधता प्रदान करने और मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। खाद्य सुरक्षा और जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए ग्रामीण उद्यमिता महत्वपूर्ण है। ग्रामीण उद्यमिता के तहत कृषि आधारित व्यवसायों को प्रोत्साहित करके खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकती है।

उत्तराखंड, जो जैविक खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी रखता है, इस क्षेत्र में विशेष रूप से लाभान्वित हो सकता है। जैविक उत्पादों का प्रसार करके लोगों को स्वस्थ भोजन उपलब्ध कराया जा सकता है।उत्तराखंड अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता है। गाँवों में कई पारंपरिक शिल्प और कलाएँ हैं, जो उद्यमिता के माध्यम से जीवित रह सकती हैं। ग्रामीण उद्यमिता इन कलाओं और शिल्पों को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है, जिससे हमारी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण होगा।

उत्तराखंड के पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में उद्यमिता रोजगार के अवसर पैदा करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। इन क्षेत्रों में उद्यमिता स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके और पर्यटन को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को गति दे सकती है।

किन क्षेत्रों में ज़रूरी है ग्रामीण उद्यमिता ?

खेती से खुलेंगे उद्यमिता के रास्ते

उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। राज्य में अधिकांश भूमि कृषि योग्य नहीं है, लेकिन जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती विशेष रूप से लाभदायक हो सकती है। उत्तराखंड में, जहां अधिकांश भूमि कृषि योग्य नहीं है, जैविक खेती और औषधीय पौधों की खेती विशेष रूप से लाभदायक हो सकती है। जैविक खेती रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के उपयोग के बिना की जाती है, जो पर्यावरण के लिए बेहतर है और स्वस्थ भोजन का उत्पादन करती है। औषधीय पौधों की खेती पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए कच्चे माल का स्रोत प्रदान करती है।

हाथों का हुनर भी देगा जीत का भरोसा

उत्तराखंड में हस्तशिल्प और कुटीर उद्योग भी ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। गाँवों में परंपरागत रूप से कई हस्तशिल्प कार्य होते हैं, जैसे बुनाई, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की नक्काशी, और कपड़े की कढ़ाई, जिन्हें बड़े बाज़ार तक पहुँचाया जा सकता है। उत्तराखंड की विशिष्ट शिल्प कलाएं, जैसे कि ऊनी वस्त्र और लकड़ी की नक्काशी, पर्यटकों को आकर्षित कर सकती हैं और आय का स्रोत बन सकती हैं।

पर्यटन से बढ़ेंगे आय के स्रोत

पर्यटन उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है। उत्तराखंड अपनी प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है। ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे, पारंपरिक भोजन और लोक संस्कृति को बढ़ावा देकर आय अर्जित की जा सकती है। ग्रामीण होमस्टे पर्यटकों को स्थानीय संस्कृति का अनुभव करने का अवसर प्रदान करते हैं, जो उन्हें शहरों की भीड़भाड़ और शोर से दूर एक शांत और आरामदायक वातावरण प्रदान करते हैं।

फूड प्रोसेसिंग उद्यमिता का शानदार विकल्प

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग भी उत्तराखंड में ग्रामीण उद्यमिता के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उत्तराखंड के फल और सब्जियों को संसाधित करके उन्हें लंबे समय तक सुरक्षित रखा जा सकता है और बाज़ार में बेचा जा सकता है। अचार, पापड़, जैम, जैविक मसाले और अन्य खाद्य उत्पादों का स्थानीय स्तर पर निर्माण कर उन्हें बाजार में बेचा जा सकता है। यह किसानों को अपनी उपज के लिए बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद कर सकता है और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा कर सकता है।

जड़ी बूटियों का बाजार भी व्यापक

आयुर्वेद उत्तराखंड की संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उत्तराखंड हिमालयी जड़ी-बूटियों का भंडार है, और इनका उपयोग करके आयुर्वेदिक उत्पाद बनाकर स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। गाँवों में उपलब्ध औषधीय जड़ी-बूटियों से आयुर्वेदिक उत्पाद बनाकर देश-विदेश में बेचा जा सकता है।उत्तराखंड के पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में उद्यमिता रोजगार के अवसर पैदा करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।

इन क्षेत्रों में उद्यमिता स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके और पर्यटन को बढ़ावा देकर आर्थिक विकास को गति दे सकती है। स्थानीय संसाधनों, सांस्कृतिक विरासत और अनूठी भौगोलिक परिस्थितियों का उपयोग करके उत्तराखंड में ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा दिया जा सकता है। यह राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में समृद्धि और आत्मनिर्भरता लाने का एक शक्तिशाली साधन हो सकता है। इन सभी क्षेत्रों में, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा देना टिकाऊ विकास के लिए महत्वपूर्ण है।

जारी हैं उत्तराखंड में ग्रामीण उद्यमिता की कोशिशें

सरकार पहाड़ी क्षेत्रों में ग्रामीण उद्यमियों को सस्ती दरों पर ऋण, सब्सिडी और उचित प्रशिक्षण प्रदान में लगी है ताकि गांव गांव में उद्यमियों का विकास हो सके। वहीं गैर-सरकारी संगठन भी उत्तराखंड में अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने में लगें हैं। कर्तव्य कर्मा जैसे संगठन गांवों में जाकर ये संगठन लोगों को प्रशिक्षित कर रहे हैं, कई तरह भी ट्रेनिंग्स करवा रहे हैं, प्रोडेक्ट डेवलेपमेंट से लेकर मार्केटिंग तक हर विधा में ग्राणीणों को तैयार किया जा रहा है। ताकि उनके उत्पादों को बड़े बाजार मिल सके और उन्हें अच्छा दाम मिल सके। स्थानीय समुदाय भी उद्यमिता को बढ़ावा देने और एक सहायक वातावरण बनाने में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। ताकि प्रदेश में व्यापक पैमाने पर ग्रामीण उद्मियों का विकास किया जा सके।

उत्तराखंड में कितनी कारगर है ग्रामीण उद्यमिता

उत्तराखंड को सशक्त बनाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, पर क्या ये प्रयास अपेक्षित परिणाम दे पा रहे हैं? उद्यमिता के क्षेत्र में किए जा रहे प्रयासों का अभी तक मनचाहा नतीजा नहीं निकला है, लेकिन फिर भी लोगों में एक नई मानसिकता जन्म ले रही है – कुछ करने की, अपना कुछ करने की। यह सोच का उदय ही पहली जीत की ओर इशारा है।उत्तराखंड में समग्र रूप से काम करने की आवश्यकता है। ग्रामीण उद्यमिता को जितना प्रोत्साहन मिलेगा, यह राज्य उतना ही प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा। व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाए तो ग्रामीण उद्यमिता केवल धन अर्जित करने का साधन नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा आंदोलन है जो आत्मनिर्भरता, टिकाऊ विकास और सामाजिक उत्थान को बढ़ावा देता है। यदि सही दिशा में प्रयास किए जाएं, तो उत्तराखंड के गांव भी समृद्ध और खुशहाल बन सकते हैं। गांवों को उद्योग और व्यवसाय का केंद्र बनाने के लिए सरकार, समाज और उद्यमियों को मिलकर काम करना होगा। यही सशक्त उत्तराखंड और सशक्त भारत की सच्ची परिकल्पना है। उत्तराखंड के पहाड़ी और दुर्गम क्षेत्रों में उद्यमिता का विशेष महत्व है, क्योंकि यह स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान करती है, स्थानीय संसाधनों का उपयोग करती है और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करती है।उत्तराखंड के एक उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए, हमें ग्रामीण उद्यमिता को बढ़ावा देने और इसका समर्थन करने के लिए एकजुट होकर प्रयास करने होंगे। तभी उत्तराखंड की तकदीर और तस्वीर, दोनों को बदला जा सकता है।

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