नई दिल्ली: भारतीय क्रिकेट फैन्स को टीम इंडिया से टी20 वर्ल्ड कप 2021 को लेकर बड़ी उम्मीदें थी। लेकिन दो खराब मुकाबले हारने के कारण भारतीय टीम सेमीफाइनल की रेस से ही बाहर हो गई थी। मगर अब अगले साल के टी20 विश्व कप (T20 World Cup 2022) की तैयारियां शुरू हो गई हैं। भारतीय टीम को नया कोच (Indian Team new head coach) मिल गया है। राहुल द्रविड़ द्वारा कोच पद संभालने के बाद से ही हर तरफ उनके फैन्स जश्न मना रहे हैं।
गौरतलब है कि राहुल द्रविड़ (head coach Rahul DRavid) की महानता उन्होंने खुद फील्ड पर अपने प्रदर्शन से स्थापित की है। भारतीय टीम के कप्तान (Former Indian Captain) रह चुके द्रविड़ ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में कुल 48 शतक (Total 48 International centuries) लगाए हैं। टेस्ट और वनडे फॉर्मेट में 10 हजार से अधिक रन बनाने वाले चुनिंदा खिलाड़ियों की लिस्ट में राहुल का नाम शामिल है।
राहुल ने राहुल द्रविड़ ने 2012 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास (Retirement in 2012) लिया था। उन्होंने क्रिकेट खेलना जरूर छोड़ा मगर वह क्रिकेट से दूर नहीं गए। वह राहुल द्रविड़ ही थे जिनकी कोचिंग में भारतीय अंडर-19 टीम ने 2018 में वर्ल्ड कप जीता था। इसके बाद द्रविड़ ने काफी समय तक एनसीए के प्रमुख के तौर पर भी काम किया। लेकिन आपको बता दें कि महान खिलाड़ी और कोच होने के साथ साथ राहुल द्रविड़ एक महान इंसान भी हैं।
जी हां, 2017 की बात है जब राहुल द्रविड़ को बेंगलुरु विश्वविद्यालय (Bangalore University) की ओर से एक बड़ा सम्मान मिलने वाला था। लेकिन राहुल ने इसे विनम्रता पूर्वक अस्वीकार (Rahul Dravid denied) कर दिया। दरअसल बेंगलुरु यूनिवर्सिटी ने 27 जनवरी को अपने 52वें दीक्षांत समारोह में द्रविड़ को मानद डॉक्टरेट डिग्री (Doctorate degree) देने की पेशकश की थी।
लेकिन द्रविड़ ने इसे स्वीकार करने से मना कर दिया है। तब राहुल द्रविड़ ने कहा था वह इसे पढ़ाई करके लेना चाहते हैं। उन्होंने कहा था कि मेरी मां आर्ट्स की प्रोफेसर (Professor in Arts) हैं और उन्होंने डॉक्टरेट की डिग्री पाने के लिए पचास वर्ष की होने तक इंतज़ार किया है। मेरी पत्नी एक डॉक्टर हैं और डॉक्टर बनने में ना जाने कितने ही दिन और रातों की मेहनत लगती है।
राहुल ने कहा कि मैंने क्रिकेट खेलने के लिए बहुत मेहनत की है पर इतना अध्ययन नहीं किया है। इसलिए मैं यह डिग्री स्वीकार नहीं कर सकता। वह मानद उपाधि लेने की बजाय खेल के क्षेत्र में अनुसंधान कर डॉक्टरेट की डिग्री हासिल करने के इच्छुक रहे। इसके पहले 2012 में भी द्रविड़ ने गुलबर्गा विश्वविद्यालय (Gulbarga University) के 32वें दीक्षांत समारोह में भाग नहीं लिया था। तब भी वहां उन्हें मानद डॉक्टरेट की उपाधि के लिए 12 लोगों में चुना गया था।
बता दें कि लोग इस बात से भी अंजान होंगे कि 2004 में जब द्रविड़ को पद्मश्री अवॉर्ड (PadmaShree Award) से नवाजा गया था तो वह खुद को हीरो कहे जाने से खुश नहीं थे। उनका मानना है कि असली हीरो तो सैनिक, वैज्ञानिक और डॉक्टर होते हैं। वाकई राहुल द्रविड़ जैसे जेंटलमैन खिलाड़ी क्रिकेट ही क्या किसी भी खेल को रोजाना नहीं मिलते। उम्मीद करते हैं कि भारतीय टीम द्रविड़ की कोचिंग में खूब ऊंचाईयों पर जाए क्योंकि द्रविड़ इस सम्मान और इससे भी ज्यादा तारीफों के लायक हैं।