देहरादून: कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद करीब 10 महीनों के बाद सरकार ने सरकारी कॉलेजों को फरवरी में खोलने का फैसला किया है। कॉलेज के खुलने के बाद स्कूलों के खुलने को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। पिछले मार्च से बच्चे घरों में रहकर ऑनलाइन पढ़ाई कर रहे हैं। इस बारे में देहरादून पहुंचे केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि स्थिति को देखते हुए स्कूल खोलने को लेकर सरकार फैसला करेगी। शिक्षा के साथ-साथ हेल्थ भी अहम है और सरकार इसकों समझती है।
ऐसे में स्कूल खोलते समय कोविड 19 महामारी को लेकर केंद्र व राज्य सरकारों के स्तर पर जारी मानकों का पूरा पालन करना होगा। जब भी स्कूल खुलेंगे केंद्र के दिशा निर्देशों के तहत बच्चों की सुरक्षा और कोविड-19 के नियमों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। बता दें कि पिछले साल यानी मार्च 2020 से स्कूल बंद हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र ने यह फैसला किया था।
सीबीएसई के क्षेत्रीय कार्यालय में पत्रकारों को केंद्रीय शिक्षा मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक ने बताया कि दुनियाभर के देश सीबीएसई पर गर्व करते हैं। 28 देशों में इसके स्कूल हैं। केंद्र सरकार इसे और सशक्त करना चाहती है। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में भी बच्चों की पढ़ाई में फर्क ना पढ़ते इसके लिए 33 करोड़ छात्रों को कोविड के दौर में ऑनलाइन पढ़ाया। परीक्षा कराई और रिजल्ट दिया। जिनके पास इंटरनेट नहीं है। उन छात्रों तक दीक्षा पोर्टल या अन्य दूसरे माध्यमों से शिक्षा पहुंचाई।
नई शिक्षा नीति पर उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 को केंद्रीय स्कूल, नवोदय स्कूल और सीबीएसई के स्कूल मॉडल के रूप में प्रस्तुत करें। मंत्री ने कहा कि दुनिया में हिंदी विश्व की तीसरे सबसे अधिक पढ़ी और बोली जाने वाली भाषा है। प्रधानमंत्री ने कहा है कि मातृभाषा में हम डॉक्टर और इंजीनियर भी बनाएंगे। संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल 22 भारतीय भाषाओं को सरकार का ओर सशक्त करने का अभियान है।