हल्द्वानी: कुछ साल पहले डेंगू के बारे में शायद ही किसी को पता हो लेकिन अब ये लोगों की जान लेने में तुला हुआ है। डेंगू के आकंड़ों का ग्राफ कम होने का नाम नहीं ले रहा है। प्रशासन पैनिक नहीं होने की बात कह रहा है लेकिन आंकड़े सच में डराते हैं। हल्द्वानी और देहरादून जिले में मिलाकर 2800 से ज्यादा डेंगू के केस सामने आए हैं। यह आंकड़े सरकारी हॉस्पिटलों के है। लोगों के बीमार होने का फायदा झोलाछाप और पैथोलॉजी लैब संचालन उठा रहे हैं। यह भी सामने आया है कि अलग-अलग लैब में जांच कराने में रिपोर्ट में भी अंतर देखने को मिल रहा है।
हल्द्वानी के सुशीला तिवारी हॉस्पिटल और बेस हॉस्पिटल पूरी तरह से पैक है। शहर में डेंगू के चलते 8 लोगों की मौत हो गई है। डेंगू ने पूरे शहर में दहशत फैला दी है। इसके अलावा कइ ऐसे मरीज भी हैं जिनका दूसरे शहरों में इलाज चल रहा है। वहीं प्रशासन डेंगू से लोगों की रक्षा करने के लिए उन्हें जागरूक कर रहा है। एसीएमओ डॉ. रश्मि पंत के नेतृत्व में इंदिरानगर में जागरूकता अभियान चला। डॉ. पंत ने लोगों से घरों में जमा पानी फेंकने की अपील की। उन्होंने कहा कि अगर लंबे समय से पानी जमा है तो इसमें डेंगू के लार्वा पैदा हो जाते हैं जो बीमारी फैलाते हैं। आसपास सफाई बरतने के निर्देश दिए।
हल्द्वानी की तरह देहरादून जिले में भी डेंगू की दशहत है। जिले में डेंगू के मरीजों की संख्या 1900 से अधिक पहुंच चुकी है। शहर के तीन प्रमुख सरकारी अस्पतालों की बात करें ऐसा कोई दिन नहीं जब अस्पताल में आसानी से कोई बेड खाली मिल रहा हो। प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में शुमार राजकीय दून मेेडिकल अस्पताल में 567 बेड हैं। ये सभी बेड रोजाना लगभग फुल रहते हैं। अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए 65 बेड बनाए गए हैं।