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उत्तराखंड में बस चालक को पड़ा दिल का दौरा, मरते मरते बचा गया 14 लोगों की ज़िंदगी, श्रद्धांजली


हल्द्वानी: प्रदेश में शुक्रवार को एक चालक की सूझबूझ के चलते एक बहुत बड़ी सड़क दुर्घटना होने से बच गई। अफसोस यह रहा कि चालक बस में बैठी 14 सवारियों की जान तो बचा गया, मगर खुद मौत के मुंह में समा गया।

टिहरी जिले के चंबा से ऋषिकेश की ओर जा रही बस के चालक को अचानक ही गाड़ी चलाते वक्त हार्ट अटैक आ गया। जिसके बाद उसने दर्द में भी बस को अनियंत्रित ना करते हुए किनारे पर रोक दिया और सवारियों की जान बचा दी। मगर चालक को नहीं बचाया जा सका। अगर चालक ने उस दिन सूझबूझ से काम ना लिया होता तो न जाने कितनी जाने गई होती।

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दरअसल डीजीएमओ यानी कि टिहरी गढ़वाल मोटर ऑनर्स कंपनी की बस बीते शुक्रवार को चंबा से ऋषिकेश की ओर जा रही थी। इस बस को 36 वर्षीय विजय जोशी चला रहे थे। मामले की जानकारी डीजीएमओ के अध्यक्ष बलवीर सिंह रौतेला ने दी। जानकारी के अनुसार बस में 14 सवारियां सवार थी।

जब चंबा से तकरीबन 40 किलोमीटर दूर पहाड़ के रास्ते पर यह बस पहुंची तो विजय जोशी के सीने में अचानक से बहुत तेज दर्द उठने लगा। दर्द के तेज होते ही बस अनियंत्रित होने लगी। मगर विजय जोशी ने अपनी सूझबूझ का परिचय देते हुए पहले तो बस के ब्रेक लगाए और बाद में बस को सड़क के किनारे खड़ा कर दिया। जिसके बाद वह अपने ही सीट पर बेहोश हो गए।

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इसी सूझबूझ के कारण बस में सवार 14 सवारियों की जिंदगी बच गई। किसी को खरोंच तक नहीं आई। बाद में कंडक्टर की मदद से चालक विजय जोशी को एम्स ऋषिकेश के लिए रवाना किया गया। साथ ही बस के यात्रियों को किसी दूसरी बस में भेजा गया। मगर एम्स में वाहन चालक विजय जोशी को जैसे ही डॉक्टरों ने देखा, उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। ऐसे में वाहन चालक विजय जोशी की बहादुरी को सलाम करने का मन करता है।

अपने अंतिम समय में भी विजय जोशी ने समझदारी का परिचय देते हुए किसी भी यात्री को नुकसान नहीं पहुंचने दिया। जरा सी ऊंच-नीच भी किसी की भी जिंदगी पर भारी पड़ सकती थी। मगर बस चालक विजय जोशी ने बहादुरी दिखाई और सब की जान बचा ली। बस चालक को शनिवार को ऋषिकेश में डीजीएमओ मुख्यालय में श्रद्धांजलि दी गई। डीजीएमओ के अध्यक्ष ने बताया कि बस चालक विजय जोशी ने मरते मरते भी कई लोगों की जान बचाई है। उनका यह बलिदान सदैव याद रखा जाएगा।

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