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Video:नहीं रही देवभूमि की पहली लोकगायिका कबूतरी देवी,राज्य में दौड़ी शोक लहर


हल्द्वानी: उत्तराखंड को शनिवार सुबह गहरा झटका लगा है। राज्य की संस्कृति को बढ़ावा देने वाली मशहूर लोक गायिका कबूतरी देवी अब इस दुनिया में नहीं रही। उन्होंने पिथौरागढ़ के जिला हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली। बताया जा रहा है कि लोक गायिका कबूतरी देवी की हालात काफी नाजुक थी और डॉक्टरों ने हायर सेंटर रेफर किया था लेकिन धारचूला से हवाई पट्टी पर हेलीकॉप्टर के न पहुंच पाने के कारण उन्हें इलाज के लिए हायर सेंटर नहीं ले जाया जा सका। इस दौरान उनकी हालत बिगड़ गई और उन्हें वापस जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया। उनकी मौत की खबर के सामने आने के बाद परिवार सहित पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ गई है। लोकगायिका कबूतरी देवी को सांस लेने और हार्ट में समस्या के चलते उन्हें शुक्रवार रात एक बजे जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी उम्र 73 साल थी। उनकी गंभीर हालात को देखते हुए उन्हें इमरजेंसी में रखा गया था।

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कबूतरी देवी की बेटी हेमंती ने बताया कि उनके हाथ-पैर भी काम नहीं कर रहे थे। बता दें कि कबूतरी देवी राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित से चुकी हैं। कबूतरी देवी ने उत्तराखण्ड के गीतों को आकाशवाणी में भी पहचान दी। उन्होंने करीब 100 से अधिक गीत गाए। उनके गीत आकाशवाणी के रामपुर, लखनऊ, नजीबाबाद और चर्चगेट, मुंबई के केन्द्रों से प्रसारित होते थे। उनके कार्य के लिए उत्तराखंड के संस्कृति विभाग ने उन्हें पेंशन देने का भी फैसला किया। कबूतरी देवी अपनी बेटी के साथ पिथौरागढ़ में रह रही थीं।

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कबूतरी देवी पिथौरागढ़ के सुदूर ग्रामीण अंचल क्वीतड़ ब्लॉक मूनाकोट की रहने वाली थीं। कबूतरी देवी ने पर्वतीय लोक शैली को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान दिलाई। उन्हें उत्तराखंड के लोग तीजनबाई कहते थे। जवो राज्य की पहलीलोकगायका थी जिन्होंने आकाशवाणी के लिए लोकगीत गाए थे। 70 के दशक में उन्होंने पहली बार पहाड़ के गांव से स्टूडियो पहुंचकर रेडियो जगत में अपने गीतों से धूम मचा दी थी।

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https://youtu.be/KcH3oydckU4

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