हल्द्वानी: मां नाम का शब्द इस संसार में सबसे बड़ा है। अगर मां नहीं होती को इस संसार का अस्तित्व नहीं होता। मां अपने परिवार और बच्चों के लिए पूरी जिंदगी कुर्बान कर देती है। बिना किसी लालच के कैसे काम करते है कोई मां से पूछे। एक बार फिर एक मां की ऐसी ही कहानी देवभूमि उत्तराखण्ड से सामने आ रही है जिसने अपने परिश्रम से अपने बेटे की कामयाबी की स्क्रिप्ट लिख डाली।
थायराइड को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है- डॉक्टर सहज जोशी
नाम मंजू भंडारी जिन्होंने अपने पति को उस वक्त खोया जब उनका बेटा केवल दो साल का था। जिंगदी का सबसे बड़ा दर्द को मंजू ने अपने परिश्रम से हरा दिया। बेटे की ऐसी परवरिश की उस पर बचपन से देश सेवा करने का जूनन हावी हो गया। ये कहानी है पुरोला के नैलाणी निवासी रोहित भंडारी कि जिन्हें आइएमए के एसीसी में जेएनयू की डिग्री से सम्मानित किया गया। रोहित की कहानी 39 कैडेट से अलग थी। माता मंजू भंडारी के सिर पर रोहित और छोटे भाई मोहित के लालन-पालन की जिम्मेदारी आ गई।
रोमानों पिज्जा के स्वाद में खोएगा भवाली शहर, पहाड़ के लोग भी लेगें पिज्जा का आन्नद
मां ने दिन रात संघर्ष किया। रोहित ने हुंडोली स्थित सरकारी इंटर कॉलेज से 12वीं पास की। साल 2012 में रोहित एयरफोर्स में भर्ती हो गए। मां हमेशा देशभक्ति की कहानी सुनाती थी तो बचपन से ही मन में सेना में अफसर बनने का सपना था। अब मां की प्रेरणा और देशभक्ति के जुनून ने सपने को सच कर दिया। एक साल की ट्रेनिंग के बाद अफसर की शपथ लूंगा तो मां का संघर्ष खुशी में बदलेगा। अब इस दिन का बेसब्री से इंतजार है।
हल्द्वानी प्रकाश डेंटल टिप्स- रूट कैनाल उपचार से दूर होगा दांतों का अहसाय दर्द
रोहित ने बताया कि दो साल की उम्र में सिर से पिता का साया उठ गया था। मां के इस हौसले से सेना में सिपाही तक पहुंचा हूं। मगर, मन में मां के संघर्ष की पीड़ा और देशभक्ति का जुनून सवार था। एयरफोर्स में सिपाही के रूप में भर्ती तो हुआ, लेकिन लक्ष्य अफसर बनने का था। अब अफसर बनने की राह तक पहुंचा हूं तो मां के संघर्ष को खुशी में बदलूंगा।
न्यूज सोर्स-दैनिक जागरण