नैनीताल: पहाड़ में रहने वाले अपने आप को खासा खुशनसीब समझते हैं। उत्तराखण्ड से पलायन भी काफी हुआ है लेकिन कुछ लोग ऐसे भी है जो देश के सर्वोच पद पर सेवा दे रहे है लेकिन उनका अपनी देवभूमि से लगाव कम नहीं हुआ। मौका मिलते ही वो अपने घर को याद करते है। आज हम बात कर रहे उस शख्स की जिसकी प्लानिंग देश की जनता को दुश्मनों की बुरी नजर से बचाती है। जिसकी कार्रवाई दुश्मनों को बार-बार संदेश देती है कि भारत से टकराने का नतीजा हानिकारक साबित हो सकता है।
भारतीय सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत अपनी पत्नी के साथ अपने गांव पैतृक (पौड़ी जिले के सैणा गांव ) पहुंचे। उनके गांव में पहुंचते ही ग्रामीणों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा और वो झूम लगने। अपने गांव पहुंचने के बाद खुद देशी की सेना का कप्तान भावुक हो उठा जिसकी झलक उनकी आंखों में देखी जा सकती थी। भारतीय सेना प्रमुख बिपिन रावत मुख्य मार्ग से पैदल अपने गांव पहुंचे और ग्रामीणों से समस्याओं के बारे में जानकारी ली। उन्होंने एसडीएम राकेश तिवारी से गांव तक सड़क न पहुंचने के कारणों कीभी जानकारी ली।
गांव में करीब दो घंटे का वक्त गुजारने के बाद जनरल रावत रात्रि विश्राम के लिए लैंसडौन लौट गए। गांव से लौटते हुए जब जनरल रावत पत्नी मधुलिका के साथ सड़क में पहुंचे तो वहां बड़ी संख्या में महिलाएं मौजूद थीं। उन्होंने सभी का हालचाल पूछा और दोबारा गांव आने का भरोसा दिलाया।
बिपिन जी ने अपने गांव में घर बनाने की भी इच्छा जताई तो उनके परिजनों ने उन्हें गांव मे जमीन भी दिखाई। उन्होंने चाचा भरत सिंह के आवास के समीप ही एक खेत में आवास बनाने की बात कही। बता दें कि जनरल रावत अपनी पत्नी मधुलिका रावत के साथ हेलीकॉप्टर से लैंसडौन पहुंचे। वहां से भोजन करने के बाद वो ग्राम बिरमोली पहुंचे। यहां से अपने गांव सैणा तक एक किमी की दूरी उन्होंने पैदल तय की।
जनरल रावत का गांव सैणा पौड़ी जिले के द्वारीखाल विकासखंड में पड़ता है। गांव में देश की सेना का कप्तान जैसे ही पहुंचा तो लोगों ने उनका स्वागत किया। उन्होंने चाचा भरत सिंह रावत और हरिनंदन रावत से गांव में खेती की जानकारी ली और समस्याओं पर भी विस्तृत चर्चा की। जिसमें उन्हें मालूम हुआ कि जंगली जानवरों के फसल नष्ट करने से साथ गंव में खेती करना काफी कठिन हो गया है। इस कारण से लोग गांव छोड़कर पहाड़ की ओर रुख कर रहे हैं। जनरल रावत ने कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने के लिए रोजगार देने वाली योजनाओं को गांवों में लाना होगा।