हल्द्वानी: केंद्र से आदेश मिलने के बाद उत्तराखंड सरकार ने हरिद्वार में आयोजित होने वाले कुंभ मेले के लिए गाइडलाइन्स जारी की हैं। मुख्य रूप से देखा जाए तो इस बार कोरोना को ध्यान में रखकर एसओपी बनाई गई हैं। लाज़मी है कि इस बार मेले में बिना रजिस्ट्रेशन और बिना कोविड नेगेटिव रिपोर्ट प्रवेश नहीं मिलेगा। साथ ही कई अन्य चीज़ों के लिए भी अलग-अलग निर्देश जारी किए गए हैं। यात्री रजिस्ट्रेशन के लिए www.haridwarkumbhmela2021.com पर आवेदन कर सकते हैं।
सचिव आपदा प्रबंधन एवं पुनर्वास विभाग एसए मुरुगेशन ने मंगलवार को कुंभ मेले के नियमों को साझा किया। इस एसओपी में आश्रम, धर्मशाला, वाहन पार्किंग स्थान, होटल व रेस्टोरेंट, हॉल्टिंग प्वाइंट, धार्मिक स्थल, रेलवे स्टेशन, सार्वजनिक परिवहन और बस स्टेशन के लिए अलग-अलग निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि इस बार यात्रियों को धर्मशाला या आश्रम में प्रवेश एंट्री पास और हथेली के ऊपरी भाग पर अमिट स्याही का निशान देखने के बाद ही मिलेगा।
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गौरतलब है कि कोविड-19 के इस दौर में मंदिरों में दर्शन के दौरान श्रद्धालुओं के बीच दो गज की दूरी आवश्यक होगी। इतना ही नहीं आपके मोबाइल में आरोग्य सेतु एप होना भी ज़रूरी होगा। इसके अलावा बस चालकों को यह ज़िम्मेदारी दी गई है कि वे किसी भी व्यक्ति को कोरोना के लक्षण के साथ पाते हैं, तो उन्हें इसकी सूचना पुलिस या नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र को देनी होगी। बिना पंजीकरण किसी भी यात्री को किसी भी सूरत में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।
एसओपी के कुछ मुख्य बिंदु
1. शाही स्नान की जो तिथियां अधिसूचित होंगी, उन पर हरिद्वार में बाजार बंद रहेंगे
2. शाही स्नान पर केवल आवश्यक वस्तुओं की दुकानें जैसे- डेयरी, भोजन, दवा, पूजन सामग्री व कंबल की दुकानें ही खुलेंगी।
3. स्नान के लिए केवल 20 मिनट का ही समय दिया जाएगा
4. मौके पर तैनात सुरक्षाकर्मियों की यह जिम्मेदारी होगी कि 20 मिनट का समय पूरा होते ही वह उस जत्थे को बाहर निकालें
5. गंगा तट पर तैनात सभी सुरक्षाकर्मी पीपीई किट से लैस होंगे
6. रेल के माध्यम से कुंभ मेला आने वाले तीर्थयात्रियों के पास कुंभ मेले का पंजीकरण होना जरूरी है
7. रेल यात्रियों के पास 72 घंटे के भीतर की कोविड निगेटिव रिपोर्ट भी होनी अनिवार्य है
8. अगर यह नहीं होंगे तो उन्हें रेलवे स्टेशन से बाहर नहीं आने दिया जाएगा
9. ठीक ऐसे ही नियम बस स्टैंड पर भी लागू किए जाएंगे
सभी में इस बात का सख्ती से लागू किया गया है कि अगर नियमों का पालन नहीं होगा तो सीधे तौर पर आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी रोग अधिनियम 1897 और आईपीसी की धाराओं में कार्रवाई की जाएगी।
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