उत्तराखण्ड का नाम एक बार फिर उसकी बदलती पीढ़ी के कारण सुर्खियों में है। वो पीढ़ी जो कुछ करना जानती है, जो चाहती है कि देश का नाम विश्वपटल पर अपनी धाक छोड़े। उत्तराखण्ड के डॉ. भगवती प्रसाद जोशी ने एक अद्धभूत आविष्कार किया है। उनके शोध से अब कंप्यूटर आसानी से दिमाग की बात समझने लगेगा।
चमोली के रहने वाले डॉ. भगवती ने प्रोफेसर मैनहार्ट और मैक्स प्लांक इंस्टिट्यूट, जर्मनी के अन्य वैज्ञानिकों के साथ मिलकर दुनिया में पहली बार कार्यात्मक इलेक्ट्रोलाइट तरल पदार्थ को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में एकीकृत करने की नई तकनीक का अविष्कार किया है। इस शोध को न्यूरोमोर्फि क कंप्यूटिंग के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में डॉ. भगवती प्रसाद एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के रूप में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय बर्कले, अमेरिका में एडवांस्ड कंप्यूटिंग के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। डॉ. भगवती ग्राम भाटियाना, जिला चमोली के रहने वाले हैं।
पहाड़ के बेटे ने एक बार फिर साबित किया कि उत्तराखण्ड वैज्ञानिक दिशा में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। बता दें कि डॉक्टर भगवती जोशी के पिता ललिता प्रसाद जोशी, सेवानिवृत्त स्कूल अध्यापक हैं। डॉ. भगवती ने गढ़वाल विवि से फिजिक्स में एमएससी किया है। वर्ष 2015 में डॉ. प्रसाद के ब्रिटेन के कैंब्रिज विवि से पीएचडी की डिग्री हासिल की।
पीएचडी के बाद, डॉ. प्रसाद ने मैक्स प्लैंक इंस्टीट्यूट फॉर सॉलिड स्टेट में प्रोफेसर मैनहार्ट (निदेशक) के साथ एक वैज्ञानिक के रूप में काम किया, जहां उन्होंने इस तकनीक का अविष्कार किया। इस आविष्कार के बाद दुनियाभर के वैज्ञानिक डॉक्टर भगवती जोशी को बधाई दे रहे हैं। न्यूरोमोर्फि क कंप्यूटिंग डिवाइस मानव मस्तिष्क की कार्यक्षमता से प्रेरित है। जहां वर्तमान कंप्यूटिंग डिवाइस हमारे द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करते हैं, न्यूरोमोर्फि क कंप्यूटिंग डिवाइस न केवल निर्देशों का पालन करेगी बल्कि स्वयं द्वारा सही निर्णय लेने के लिए तार्किक शक्ति का भी उपयोग करेगी।