देहरादून:विश्व धरोहर फूलों की घाटी में जापान का ब्लू पॉपी आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बताया जा रहा है कि ये फूल करीब 40 साल पहले उत्तराखण्ड में मेहमान बनकर आया था और उसके बाद देवभूमि ने उसे अपना लिया। विदेशों से आने वाले लोगों को पॉपी फूल अपनी ओर खासा खींचता है। ब्लू पॉपी को हिमालयी फूलों की रानी भी कहा जाता है। जुलाई से अगस्त के आखिर तक हेमकुंड साहिब व फूलों की घाटी में यह फूल प्रचुर मात्रा में खिलता है। दुनिया में ब्लू पॉपी की 40 प्रजातियां मौजूद हैं। इनमें से 20 तो भारत में ही पाई जाती हैं। इस फूल की जड़ों को जहरीला माना जाता है।
समुद्रतल से 12500 फीट की ऊंचाई पर 87.5 वर्ग किमी क्षेत्रफल में फैली फूलों की घाटी जैव विविधिता का खजाना है। यहां पर दुनिया के दुर्लभ प्रजाति के फूल, वन्य जीव-जंतु, जड़ी-बूटियां व पक्षी पाए जाते हैं। फूलों की घाटी को वर्ष 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया। वर्ष 2005 में यूनेस्को ने इसे विश्व प्राकृतिक धरोहर का दर्जा प्रदान किया।
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ब्लू पॉपी के फूलों की घाटी में आने की कहानी कुछ अलग है। साल 1986 तक यह फूल घाटी में नहीं था। जापान से शोध छात्र बकांबे फूलों पर शोध के लिए फूलों की घाटी आए थे, इसी दौरान उन्होंने जापान में पसंद किए जाने वाले ब्लू पॉपी के बीज घाटी में बिखेरे।
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तीन साल बाद जब वह दोबारा फूलों की घाटी आए तो वहां ब्लू पॉपी की क्यारी सजी थी। तब से यह फूल लगातार यहां खिल रहा है। कहा जाता है कि फूलों की घाटी में आने वाला हर पर्यटक इस फूल का दीदार करता है।। फूलों की घाटी में इसे देखना उनके लिए सुखद अहसास जैसा है।